स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से पीएम मोदी ने बेटियों के लिए सैनिक स्कूलों के दरवाजे खोलने का किया ऐलान

टीम भारत दीप |

पीएम ने कहा सदी की सबसे बड़ी लड़ाई कोरोना से देश ने बड़े धैर्य और साहस के साथ लड़ा।
पीएम ने कहा सदी की सबसे बड़ी लड़ाई कोरोना से देश ने बड़े धैर्य और साहस के साथ लड़ा।

लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के शहीदों को नमन किया इसके बाद बोले— 'आजादी को जन आंदोलन बनाने वाले बापू हों या सब कुछ न्यौछावर करने वाले नेताजी हों, भगत सिंह, आजाद, बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां, झांसी की लक्ष्मी बाई या चित्तूर की रानी कनम्मा हों, देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू हों, सरदार पटेल हों, दिशा देने वाले अंबेडकर हों.


नईदिल्ली। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठवीं बार लाल किले से झंडा फहराया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75वें स्वतंत्रता दिवस पर आठवीं बार लाल किले पर झंडा फहराने के बाद देश को संबोधित करते हुए ऐलान किया कि देश के सभी सैनिक स्कूलों को बेटियों के लिए खोल दिया जाएगा।

इसके साथ ही कहा कि 100 लाख करोड़ से भी ज्यादा की योजना लाखों नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर लेकर आने वाली है।प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश में जिस तरह से नए एयरपोर्ट बन रहे हैं, उड़ान योजना जगहों को जोड़ रही है, ये अभूतपूर्व है। बेहतर कनेक्टिविटी लोगों के सपनों को नई उड़ान दे रही है। गति शक्ति का नेशनल मास्टर प्लान हम आपके सामने आएंगे। 

स्वतंत्रता सेनानियों और नेहरू को याद किया

लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के शहीदों को नमन किया इसके बाद बोले- 'आजादी को जन आंदोलन बनाने वाले बापू हों या सब कुछ न्यौछावर करने वाले नेताजी हों, भगत सिंह, आजाद, बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां, झांसी की लक्ष्मी बाई या चित्तूर की रानी कनम्मा हों, देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू हों, सरदार पटेल हों, दिशा देने वाले अंबेडकर हों.. देश हर व्यक्ति और व्यक्तित्व को याद कर रहा है। देश सभी का ऋणी है।

इसके बाद पीएम मोदी ने टोक्यो ओलिंपिक में देश का नाम रोशन करने वाली युवा पीढ़ी एथलीट्स और खिलाड़ियों की तारिफ करते हुए कहा, मैं देशवासियों को और हिंदुस्तान के कोने-कोने में मौजूद लोगों से कहना चाहता हूं कि हमारे खिलाड़ियों के सम्मान में कुछ पल तालियां बजाकर उनका सम्मान करें।

भारत के खेलों का सम्मान, भारत की युवा पीढ़ी का सम्मान, भारत को गौरव दिलाने वाले युवाओं का सम्मान, करोड़ों देशवासी आज तालियों की गड़गड़ाहट के साथ देश के जवानों का, युवा पीढ़ी का सम्मान कर रहे हैं। एथलीट्स पर विशेष तौर पर हम ये गर्व कर सकते हैं कि उन्होंने दिल ही नहीं जीता, उन्होंने आने वाली पीढ़ियों को भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का बहुत बड़ा काम किया है।'

हर साल 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाएंगे

लाल किले से प्रधानमंत्री ने ने बोलते हुए कहा कि हम आजादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है। ये पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक है। आजादी के बाद इन लोगों को बहुत ही जल्द भुला दिया गया। कल ही भारत ने एक भावुक निर्णय लिया है। अब से हर वर्ष 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद किया जाएगा।

जो लोग विभाजन के समय अमानवीय हालात से गुजरे, अत्याचार सहे, सम्मान के साथ अंतिम संस्कार नसीब नहीं हुआ। उनका हमारी स्मृतियों में जीवित रहना जरूरी है। इस दिवस का तय होना, ऐसे लोगों को हर भारतवासी की तरफ से आदर पूर्वक श्रद्धांजलि है।'

धैर्य के साथ कोरोना से देश ने लड़ा

पीएम ने कहा सदी की सबसे बड़ी लड़ाई कोरोना से देश ने बड़े धैर्य और साहस के साथ लड़ा। लगातार प्रगति की तरफ बढ़ रहे देश के सामने कोरोना का कालखंड चुनौती के रूप में आया है। धैर्य के साथ इस लड़ाई को लड़ा भी गया है।

हमारे सामने अनेक चुनौतियां थीं। हर क्षेत्र में हम देशवासियों ने असाधारण गति से काम किया है। हमारे उद्यमियों की मेहनत का परिणाम है कि भारत को वैक्सीन के लिए किसी और देश पर निर्भर नहीं होना पड़ा।

पल भर सोचिए अगर भारत के पास अपनी वैक्सीन नहीं होती तो क्या होता। पोलियो की वैक्सीन पाने में हमारे कितने साल बीत गए। इतने बड़े संकट में, जब पूरी दुनिया में महामारी हो तो वैक्सीन कैसे मिलती। भारत को मिलती या नहीं, या कब मिलती। पर आज गर्व से कह सकते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम हमारे देश में चल रहा है।

इसके अलावा  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न मुद्दों पर अपनी बता रखी। जैसे सबका साथ-सबका विकास और अब सबका प्रयास के साथ देश के विकास की बात की। कोरेाना की तीसरी संभावित लहर से निपटने के लिए देश भर में आक्सीजन प्लांट लगाने, रोजगार, गरीबों को राशन, उघोग धंधे आदि पर सरकार की योजनाओं को विस्तार से बताया। 

इसे भी पढ़ें...

74 साल बाद भी अधूरा है आज़ादी का स्वप्न, बता रहे हैं अपने लेख में हमारे पाठक
 


संबंधित खबरें