अब सरकारी बाबू बनने के लिए ग्रेजुएट की होगी अनिवार्यता

टीम भारत दीप |

नियमों में बदलाव की योजना को अंजाम दिया जा रहा है। -
नियमों में बदलाव की योजना को अंजाम दिया जा रहा है। -

सरकारी भर्तियों के 45 साल पुराने 1976 के सेवा भर्ती नियमों में बदलाव करने और कैडर रीस्ट्रक्चरिंग के लिए अपर मुख्य सचिव एनवीडीए आईसीपी केशरी की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) की प्रमुख सचिव दीप्ती गौड़ मुखर्जी और एक अन्य सचिव रूही खान इसमें सदस्य हैं। समिति ने प्रारंभिक रिपोर्ट कर्मचारियों से मिले सुझाव के आधार पर तैयार की है।

भोपाल। मध्य प्रदेश में हायर सेकंडरी की योग्यता रखने वाले अभ्यार्थियों का अब सरकारी बाबू बनने का सपना पूरा नहीं हो सकेगा। क्योंकि सरकार अब सरकारी बाबू बनने की योग्यता में थोड़ा बदलाव करने जा रही है। बताया जा रहा है कि इसके लिए अब गे्रजुएट की योग्यता रखना अनिवार्य होगा।

दरअसल मध्य प्रदेश में सरकारी भर्ती के नियमों में बदलाव के लिए गठित समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार कर ली है, बताया गया कि लिपिकीय संवर्ग में जो नए कर्मचारी आ रहे हैं, वे सभी ग्रेजुएट हैं, इसलिए आगे भी यही योग्यता रखने का सुझाव देते हुए इसे बेहतर बताया गया।

बताते चलें कि शिवराज सरकार ने प्रदेश की सरकारी भर्तियों के 45 साल पुराने 1976 के सेवा भर्ती नियमों में बदलाव करने और कैडर रीस्ट्रक्चरिंग के लिए अपर मुख्य सचिव एनवीडीए आईसीपी केशरी की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) की प्रमुख सचिव दीप्ती गौड़ मुखर्जी और एक अन्य सचिव रूही खान इसमें सदस्य हैं।

समिति ने प्रारंभिक रिपोर्ट कर्मचारियों से मिले सुझाव के आधार पर तैयार की है। इसमें यह सुझाव दिया गया है कि लिपिकीय संवर्ग में होने वाली भर्ती में योग्यता हायर सेकंडरी की जगह स्नातक की जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि इस संवर्ग की 90 फीसदी से ज्यादा भर्तियों में जो कर्मचारी आ रहे हैं वे ग्रेजुएट हैं। इसलिए आगे भर्ती नियमों में अर्हता स्नातक हो।

बताया गया कि समीति इन सभी पहलुओं का परीक्षण कर अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। जिसको सामान्य प्रशासन विभाग कैबिनेट में रखेगा। इसके बाद इन्हें गजट नोटिफिकेशन जारी कर लागू किया जाएगा। बताया गया कि इस पर अगले महीने तक फैसला होने की संभावना है। बता दें कि कई प्रदेश सरकार इसी साल से सूबे में ई-फाइलिंग सिस्टम लागू कर रही है।

दरअसल कोरोना काल के कारण यह योजना ठंडे बसते में चली गयी थी, लेकिन अब यह एक साल देरी से लागू हो रही है। अब इस काम के लिए सरकार को ग्रेजुएट और कंप्यूटर में दक्ष कर्मचारियों की जरूरत है। इसी कारण नियमों में बदलाव की योजना को अंजाम दिया जा रहा है।
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