दुखद: 22 घंटे की मेहनत के बाद भी नहीं बची बोरवेल में गिरे चार साल के घनेंद्र की जान

टीम भारत दीप |
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गुरुवार सुबह 8 बजकर 44 मिनट पर बोरवेल से जब घनेंद्र को बाहर निकाला गया तब तक मौत हो चुकी थी।
गुरुवार सुबह 8 बजकर 44 मिनट पर बोरवेल से जब घनेंद्र को बाहर निकाला गया तब तक मौत हो चुकी थी।

महोबा के कुलपहाड़ में मां के साथ खेत आए चार वर्षीय घनेंद्र बुधवार को खेलते समय गहरे बोरवेल में गिर गया था। जिसे निकालने के लिए 22 घंटे तक रेस्क्यू आपरेशन चला, लेकिन चार वर्षीय मासूम की जान नहीं बचाई जा सकी। इससे पहले इसी क्षेत्र के निवाड़ी में तीन साल के प्रहलाद की बोरवेल में ​गिरने से मौत हो गई थी।

महोबा। महोबा के कुलपहाड़ में मां के साथ खेत आए चार वर्षीय घनेंद्र बुधवार को खेलते समय गहरे बोरवेल में गिर गया था। जिसे निकालने के लिए 22 घंटे तक रेस्क्यू  आपरेशन चला, लेकिन चार वर्षीय मासूम की जान नहीं बचाई जा सकी।

इससे पहले इसी क्षेत्र के निवाड़ी में तीन साल के प्रहलाद की बोरवेल में ​गिरने से मौत हो गई थी। इसके बाद जिला प्रशासन ने खुले बोरवेल को बंद कराने की मुहिम चलाई थी इसके बाद भी लोग नहीं चेतें, प्रहलाद के बाद आज घनेंद्र के लिए काल बन गया बोरवल

। गुरुवार सुबह 8 बजकर 44 मिनट पर बोरवेल से जब घनेंद्र को बाहर निकाला गया, तो सभी  की निगाहे उसकी तरफ थी। जैसे ही डॉक्टरों ने परीक्षण के बाद उसे मृत घोषित कर दिया,सबकी आंखो से आंसू बह पड़े। बुधवार को चार साल का मासूम घनेंद्र अपने ही खेत में खुले पड़े बोरवेल में गिर गया था।

पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने मौके पर पहुंचकर राहत व बचाव का काम शुरू कराया था।  बच्चे को बचाने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम मौके पर पहुंची। टीम ने टनल बनाया 22 घंटे की मेहनत कर बच्चे तक पहुंचे,लेकिन तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी।

घनेंद्र के बोरवेल में गिरने की खबर मिलते ही डॉ. पीके सिंह और डॉ. राजेश वर्मा की अगुवाई में एक टीम पहुंची। इस दौरान दो एंबुलेंस को भी मौके पर तैनात कर दिया गया। डॉक्टरों की टीमें दो आक्सीजन सिलिंडर साथ लेकर पहुंची थी।इन्हीं सिलिंडरों से पाइप को जोड़ कर बोरवेल में गिरे बच्चे तक आक्सीजन पहुंचाई गई।

सिलिंडर खाली होने पर दो और आक्सीजन सिलिंडर वहां मंगाए गए। दो एंबुलेंस इसलिए मंगाई गई कि बच्चे को बोरवेल से निकालने के बाद जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सके।जैसे-जैसे रात हो रही थी वैसे-वैसे घनेंद्र की जान बचाने का काम तेजी पकड़ रहा था।

दोपहर में दो जेसीबी गड्ढा खोदने के लिए मंगाई गईं। शाम पांच बजे दो और जेसीबी मंगाई गई। शाम सात बजे फिर एक जेसीबी मंगाई गई। शाम 7.27 बजे छठवीं जेसीबी वहां पहुंची और बोरवेल के पास गड्ढा खोदने का काम शुरू हुआ।

किसान भागीरथ कुशवाहा ने खेत में सिंचाई के लिए इसी जुलाई माह में बोरवेल का गड्ढा खुदवाया था, लेकिन पानी नहीं निकला। किसान ने गड्ढा बंद नहीं कराया था। उसे एक पत्थर से ढक दिया था। अफसर जांच कर रहे कि बच्चों के खेलने के बाद गड्ढे के ऊपर से पत्थर हटा था अथवा पहले से हटा हुआ था।


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