ऐसी है हमारी शिक्षा व्यवस्थाः यूपी में तीन बच्चों को पढ़ा रहे 4 शिक्षक

टीम भारत दीप |
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डीआईओएस ने दिन में 10 बजे और तीन बजे बच्चों के साथ शिक्षकों की उपस्थिति व्हाट्सएप पर भेजने का निर्देश दिया।
डीआईओएस ने दिन में 10 बजे और तीन बजे बच्चों के साथ शिक्षकों की उपस्थिति व्हाट्सएप पर भेजने का निर्देश दिया।

राजकीय हाईस्कूल बसौली में बच्चों की संख्या काफी कम मिलने पर उन्होंने असंतोष व्यक्त किया। विद्यालय के स्टाफ को बच्चों के साथ दिन में दो बार वाट्सएप पर उपस्थिति भेजने का निर्देश दिया।

प्रयागराज।उत्तर प्रदेश सरकारी स्कूलों के खस्ताहाल है। एक अजीब मामला प्रतापगढ़ में देखने को मिला। शनिवार को जिला विद्यालय निरीक्षक सर्वदा नंद ने पट्टी क्षेत्र के बसौली में निर्माणाधीन बालिका हॉस्टल व विद्यालयों का निरीक्षण किया।

राजकीय हाईस्कूल बसौली में बच्चों की संख्या काफी कम मिलने पर उन्होंने असंतोष व्यक्त किया। विद्यालय के स्टाफ को बच्चों के साथ दिन में दो बार वाट्सएप पर उपस्थिति भेजने का निर्देश दिया।

17 में सिर्फ तीन बच्‍चे ही मौजूद मिले

मालूम हो कि जिला विद्यालय निरीक्षक सबसे पहले राजकीय हाई स्कूल बसौली पहुंचे। यहां प्रधानाचार्य तनवीर फातिमा, शिक्षिका नेहा श्रीवास्तव व उमा मौजूद मिलीं। शिक्षिका किरण लता विलंब से आईं। विद्यालय की साफ सफाई की व्यवस्था ठीक थी।

मौके पर 17 में से सिर्फ तीन बच्चे मौजूद मिले। डीआईओएस ने दिन में 10 बजे और तीन बजे बच्चों के साथ शिक्षकों की उपस्थिति व्हाट्सएप पर भेजने का निर्देश दिया। स्कूल में कोविड के नियमों का पालन करने की व्यवस्था दुरुस्त मिलने की सराहना की।

इसके बाद वह निर्माणाधीन बालिका हॉस्टल पहुंचे। यहां निर्माण कार्य जारी था, इस पर उन्होंने संतोष व्यक्त किया। इसके बाद जिलाविद्यालय निरीक्षक कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय बसौली पहुंचे।

उनके आने की भनक मिलने पर सभी स्टाफ भागकर स्कूल पहुंचे। शिक्षिका मधु पांडेय अनुपस्थित मिलीं। इस पर उन्होंने अपनी रिपोर्ट बीएसए को भेजी है। इसके बाद वह कस्तूरबा विद्यालय बसोली पहुंचे। यहां सभी स्टाफ मौजूद मिला।

 प्रधानाचार्य को नहीं कोई जानकारी

अंत में जिला विद्यालय निरीक्षक बीएस उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मदाफरपुर पहुंचे। यहां पर कक्षा 9 में 22 बच्चों में से तीन, कक्षा 10 में 26 में से 11 बच्चे उपस्थित मिले। विद्यालय के प्रधानाचार्य रमेश तिवारी बोर्ड द्वारा कटौती किए गए हाईस्कूल एवं इंटर के कोर्स की जानकारी नहीं दे सके। जबकि अन्य शिक्षक व बच्चों को इसकी जानकारी थी।


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