सीएम योगी के इस अभियान पर यूं लगा ग्रहण! सैकड़ों करोड़ बकाया, कंपनी ने बंद किया काम

टीम भारत दीप |
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470 करोड़ रुपए का भुगतान न होने की वजह से कंपनी ने काम बंद कर दिया है।
470 करोड़ रुपए का भुगतान न होने की वजह से कंपनी ने काम बंद कर दिया है।

नगर विकास विभाग ने पूरे प्रदेश में बेहतर लाइटिंग व्यवस्था और बिजली बिल कम करने के लिए पुरानी स्ट्रटी लाइट हटा कर एलईडी लगाने का अभियान शुरू हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चार साल पहले शुरू हुआ यह अभियान अब यूपी के 68 शहरों के लिए परेशानी सबक बनने लगा है।

लखनऊ। यूपी की सड़कों पर अंधेरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। सूबे की सड़कों को एलईडी लगाकर जगमगाने का अभियान भी कंपनी को भुगतान न होने की दशा में अधर में लटक गया है।ऐसे में सूबे को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में जी—जान से जुटे सीएम योगी की कोशिश को इस तरह की उदासीनता पलीता लगाने का काम कर रही है।

वहीं इन सड़कों को दूधिया रोशनी से रोशन होने का इंतजार अब और भी लम्बा हो चला है। दरअसल नगर विकास विभाग ने पूरे प्रदेश में बेहतर लाइटिंग व्यवस्था और बिजली बिल कम करने के लिए पुरानी स्ट्रटी लाइट हटा कर एलईडी लगाने का अभियान शुरू हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चार साल पहले शुरू हुआ यह अभियान अब यूपी के 68 शहरों के लिए परेशानी सबक बनने लगा है।

बताया जा रहा है कि भुगतान न होने के कारण इन शहरों में एलईडी लगाने वाली कंपनी ईईएसएल ने नए लाइटों का काम करना बंद कर दिया है। जिसके कारण लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, बरेली समेत लगभग सभी बड़े शहरों में नई लाइट नहीं लग रही है। जानकारी के मुताबिक पिछले चार साल से स्ट्रीट लाइटों को लगाने का काम शुरू हुआ था।

इस दौरान ईईएसएल की ओर से पूरे प्रदेश में करीब 550 करोड़ रुपए की लागत से स्ट्रीट लाइटें लगाई गई। बताया गया कि इसमें से अभी तक कंपनी को महज 80 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है। ऐसे में 470 करोड़ रुपए का भुगतान न होने की वजह से कंपनी ने काम बंद कर दिया है। अब कई शहरों में जहां लाइट की जरूरत है। वहां काम नहीं हुआ है।

बताया गया कि लखनऊ, कानपुर समेत कई बड़े शहरों के पार्षद इसको लेकर नाराजगी जता चुके हैं। हालात यह है कि लखनऊ में करीब 88 करोड़ और कानपुर में 36 करोड़ रुपए का भुगतान फंसा है। बताया गया कि लखनऊ नगर निगम की सीमा में शामिल 88 गांवों में लाइट लगने के अलावा शहर के आउटर इलाकों में 50 हजार लाइटों की अभी आवश्यकता है।

वहीं लखनऊ महात्मा गांधी वॉर्ड के पार्षद अमित चौधरी के मुताबिक वह इसको लेकर सीएम को भी पत्र लिख चुके हैं। इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई है। उधर शासन की ओर से लाइटों को लेकर 550 करोड़ रुपए में महज 80 करोड़ रुपए का भुगतान हो पाया है। जिसके कारण यह परेशानी है। बताया गया कि भुगतान 70 फीसद शासन और 30 फीसदी संबंधित निगम, निकाय या नगर पालिका को करना था।

इधर लखनऊ नगर निगम में भी करीब 27 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। सूत्रों की माने तो अभी तक कंपनी पूरे प्रदेश में आठ लाख से अधिक लाइट लगा चुकी है। बताया गया कि इसमें 25 से लेकर 140 वॉट तक की लाइटें शामिल है। वहीं इसमें सबसे अधिक 70 और 110 वॉट की लाइट लगाई गई हैं। दरअसल लखनऊ में लाइट न लगाने को लेकर 25 जुलाई को पार्षदों ने सदन में हंगामा भी किया था।

जिसके बाद मेयर के सामने अपर नगर आयुक्त अमित कुमार ने बताया कि कंपनी ने भुगतान न होने के कारण नई लाइट लगानी बंद कर दी है। बताया गया कि बस वह लोग पहले से लगी स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत कर रहे है। उनके मुताबिक इस बाबत नगर निगम को नहीं लेकिन शासन को ईईएसएल की ओर से पत्र लिखा गया है।

बताया गया कि पत्र में लखनऊ समेत प्रदेश के अन्य शहरों में नया काम न करने की बात कही गई है।
 


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