सामूहिक दुष्कर्म मामले में सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति समेत तीन दोषी करार, सजा 12 को

टीम भारत दीप |

गायत्री प्रसाद समेत 6 लोगों पर सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था।
गायत्री प्रसाद समेत 6 लोगों पर सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था।

आपकों बता दें कि सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मार्च 2017 में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने उनके अलावा दो अन्य अभियुक्त आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को भी दोषी करार दिया है।

लखनऊ। सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद को सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दोषी करार कर दिया गया, अब एमपी-एमएलए कोर्ट गुरुवार को सजा सुनाएगी। इसी मामले में गायत्री प्रसाद के गनर और पीआरओ समेत चार लोगों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया।

विशेष जज पवन कुमार राय ने मंगलवार को गायत्री समेत तीनों अभियुक्तों को आइपीसी की धारा 376 डी व पाक्सो एक्ट की धारा 5जी/6 के तहत दोषी पाया। आइपीसी की धारा के तहत उम्र कैद, जबकि पाक्सो की धारा के तहत मृत्युदंड की सजा का भी प्रविधान है। सजा के बिंदु पर 12 नवंबर को सुनवाई होगी। 

2017 में हुए थे गायत्री गिरफ्तार

आपकों बता दें कि सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मार्च 2017 में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने उनके अलावा दो अन्य अभियुक्त आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को भी दोषी करार दिया है।

गायत्री के गनर रहे चंद्रपाल, पीआरओ रूपेश्वर उर्फ रूपेश व एक वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी के बेटे विकास वर्मा तथा अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू के खिलाफ कोर्ट ने कोई साक्ष्य नहीं पाया और उन्हें बरी कर दिया गया। विशेष जज ने इस मामले में झूठी गवाही देने व सबूत छिपाने के मामले का भी संज्ञान लिया है। बुधवार को अदालत के समक्ष गायत्री समेत सभी अभियुक्त जेल से आकर उपस्थित थे। 

सातों अभियुक्तों पर तय हुआ था आरोप

18 जुलाई, 2017 को पाक्सो ( प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट) की विशेष अदालत ने मामले में गायत्री समेत सभी सात अभियुक्तों विकास, आशीष, अशोक, अमरेंद्र, चंद्रपाल व रूपेश्वर के खिलाफ आइपीसी की धारा 376 डी, 354 ए (1), 509, 504 व 506 में आरोप तय किया था।

गायत्री, विकास, आशीष व अशोक के खिलाफ पाक्सो की धारा 5जी/6 के तहत भी आरोप तय किया गया था। मामले की सुनवाई प्रयागराज में एमपी-एमएलए की विशेष अदालत में होने लगी। 13 दिसंबर, 2019 को इस लखनऊ में एमपी-एमएलए की विशेष अदालत को स्थानांतरित कर दी गई थी। तीन जून, 2017 को इस मामले के विवेचक व सीओ चौक राधेश्याम राय ने गायत्री समेत सभी अभियुक्तों के खिलाफ 824 पन्ने का आरोप पत्र दाखिल किया था। 

यह है पूरा मामला

आपकों बता दें कि 18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में सामूहिक दुष्कर्म, जानमाल की धमकी व पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की अर्जी पर दिया था।

पीड़िता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी दुष्कर्म का आरोप लगाया था। गायत्री समेत सभी अभियुक्तों को मार्च 2017 में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था।

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