गांव के बच्चों को अंग्रेजी सिखाने से शुरू सफर उन्नाव की स्नेहिल को ले गया नेशनल अवार्ड तक

टीम भारत दीप |
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ये विद्यालय में आईसीटी, वाॅल ऑफ हैप्पीनेस जैसे प्रयोगों का परिणाम है।
ये विद्यालय में आईसीटी, वाॅल ऑफ हैप्पीनेस जैसे प्रयोगों का परिणाम है।

प्रधानाध्यापिका स्नेहिल पांडेय को अब तक 15 अवार्ड मिल चुके हैं, जिनमें बेसिक शिक्षा विभाग और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले एनजीओ द्वारा दिए पुरस्कार शामिल हैं। इसके अलावा उन्हें काव्य गायन के लिए भी पुरस्कृत किया जा चुका है।

उन्नाव। मशहूर गीतकार और शायर मजरूह सुल्तानपुरी का शेर है कि- 
                        मैं तो अकेला चला था जानिब-ए-मंजिल मगर। 
                         लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।।

ये शेर उन्नाव की शिक्षिका स्नेहिल पांडेय पर सटीक बैठता है। स्नेहिल उन्नाव के सोहरामऊ में बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी विद्यालय में प्रधानाध्यापिका हैं और उन्हें वर्ष 2020 के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना गया है। उत्तर प्रदेश से चुने गए तीन शिक्षकों में उनका नाम भी शामिल है। 

बचपन से ही शैक्षणिक माहौल में पली-बढ़ी स्नेहिल की मां सुधा शुक्ला को भी वर्ष 2016 में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वे वर्तमान में उन्नाव के ही नवाबगंज ब्लाॅक में उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं। 

बतौर शिक्षक स्नेहिल पांडेय की नियुक्ति वर्ष 2009 में बेसिक शिक्षा विभाग के तहत रायबरेली जनपद में हुई थी। 2012 में उनका स्थानांतरण उन्नाव जनपद में हुआ। यहां कि हिलौली ब्लाॅक में उनको सबसे पहले एकल विद्यालय का चार्ज मिला। अपने प्रयासों से उन्होंने एकल स्कूल की सूरत संवार दी। 

इसके बाद अंग्रेजी मीडियम के विद्यालयों के लिए परीक्षा पास कर उन्होंने बतौर प्रधानाध्यापिका सोहरामऊ के अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक विद्यालय में नियुक्ति पाई। इसके बाद उनके प्रयासों का परिणाम ये रहा कि दो बार विद्यालय को उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में पुरस्कार मिला। 

स्नेहिल बताती हैं कि वे जब पहली बार बतौर प्रधानाध्यापिका स्कूल में आईं तो उन्होंने गांव के बच्चों को अंग्रेजी सिखाना लक्ष्य रखा। उनकी पहली नियुक्ति में विद्यालय में छात्र संख्या केवल 70 थी। उनकी इंग्लिश क्लासेज ने अगले ही सत्र में बच्चों स्कूल में बच्चों की संख्या 130 पहुंचा दी। 

इसके बाद उन्होंने अपने शैक्षणिक प्रयासों में नित नए प्रयोग करते हुए छात्रों को बहुमुखी शिक्षा देने पर जोर दिया। इसका परिणाम यह रहा कि उनके विद्यालय की छात्रा का विद्याज्ञान परीक्षा के तहत शिव नाडर स्कूल में चयन हुआ। 

अब तक 15 पुरस्कार

स्नेहिल पांडेय


मजरूह सुल्तानपुरी का शेर स्नेहिल के लिए यहां सटीक बैठता है जब वे अपने विद्यालय की उन्नति में अपने स्टाफ के दोनों सहायक अध्यापक को पूर्ण सहयोगी बताती हैं। कभी 20 बच्चों को अकेले बैठकर पढ़ाने वाली स्नेहिल के विद्यालय में आज छात्र संख्या 266 है। ये उनके विद्यालय में आईसीटी, वाॅल ऑफ़ हैप्पीनेस जैसे प्रयोगों का परिणाम है। 

अपने प्रयासों के लिए प्रधानाध्यापिका स्नेहिल पांडेय को अब तक 15 अवार्ड मिल चुके हैं, जिनमें बेसिक शिक्षा विभाग और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले एनजीओ द्वारा दिए पुरस्कार शामिल हैं। इसके अलावा उन्हें काव्य गायन के लिए भी पुरस्कृत किया जा चुका है। 


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