मास्साब! अब स्कूल 2 बजे तक खुलेंगे, आसान भाषा में समझें आदेश की मुख्य बातें

टीम भारत दीप |
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अब केवल पढ़ाने और केवल पढ़ाने पर ही ध्यान देना है।
अब केवल पढ़ाने और केवल पढ़ाने पर ही ध्यान देना है।

प्रधानाध्यापकों पर गैर-शैक्षणिक कार्याें का बोझ कम करते हुए आवश्यक पत्रावलियों की संख्या में भी कमी की गई है। इसके अलाव शिक्षकों के लिए क्या करें और क्या न करें की भी लंबी लिस्ट है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग ने अपने मिशन प्रेरणा के तहत व्यवस्था में बड़े बदलाव करते हुए कई कदम उठाए हैं। इसमें अप्रैल से सितंबर तक विद्यालय के समय को बढ़ाकर 2 बजे तक कर दिया गया है। गर्मी की छुट्टियों को भी 15 दिन कम करके जनवरी में अवकाश की व्यवस्था की है। 

इतना ही नहीं प्रधानाध्यापकों पर गैर-शैक्षणिक कार्याें का बोझ कम करते हुए आवश्यक पत्रावलियों की संख्या में भी कमी की गई है। इसके अलावा शिक्षकों के लिए क्या करें और क्या न करें की भी लंबी लिस्ट है। हालांकि, इसके अधिकतर प्रावधान पहले की तरह ही हैं। 

शुक्रवार 14 अगस्त को अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि मिशन प्रेरणा के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए टाइम एंड मोशन स्टडी के आधार पर शैक्षणिक कार्याें के लिए समय और कार्य निर्धारण किया गया है। इसकी जो बातें आप पढ़ना चाहते हैं, हम संक्षेप और आसान भाषा में बता रहे हैं- 

1- एक अप्रैल से 30 सितंबर तक विद्यालय सुबह आठ बजे खुलकर 2 बजे बंद होंगे। शेष माह के समय में कोई बदलाव नहीं है। 

2- शिक्षकों को 15 मिनट पहले विद्यालय आ जाना है और छुट्टी के बाद 30 मिनट तक तो विद्यालय में रूकना ही है। 

3- अब से प्रत्येक पीरियड 40 मिनट का होगा। इसमें पिछले दिन का काम बच्चों को रिवाइज भी कराना होगा।

4- स्कूलों की छुट्टी करने का अधिकार जिले में केवल जिलाधिकारी के पास होगा। रैली व अन्य आयोजन के दौरान केवल उन स्कूलों में ही कक्षाएं बंद रहेंगी जहां आयोजन हो रहा है। 

5- विद्यालय में रिकाॅर्ड के रूप में अब केवल 14 रजिस्टर/डायरी बनाने होंगे। पुरानी को संभालकर रखना अनिवार्य है। 

6- स्कूल टाइम में बिना किसी आदेश किसी भी कार्य के लिए बाहर नहीं जाना है। बीआरसी/बीएसए कार्यालय पर छुट्टी स्वीकृत कराने के लिए भी नहीं। 

7- छुट्टी के लिए केवल ऑनलाइन आवेदन करना होगा। 

8 - हर दो सप्ताह के बाद ये जांचना होगा कि बच्चे कितना सीख गए हैं। उसी के आधार पर रेमेडियल टीचिंग करनी होगी। 

9- जागरूकता रैली, मीटिंग आदि कार्य भी विद्यालय समय के बाद ही किए जाएंगे। प्रशिक्षण भी या तो ऑनलाइन होंगे या विद्यालय समय के बाद। पुताई, मरम्मत आदि भी छुट्टी में या स्कूल के बाद। 

10- हर शिक्षक को वीकली प्लान बनाना होगा और इस बारे में स्कूल का स्टाफ सप्ताह में एक बार मीटिंग करेगा। 

11- जिलाधिकारी, बीएसए और खंडशिक्षाधिकारी किसी भी परीक्षा का आयोजन नहीं करेंगे।

12- शिक्षक आचरण नियमावली का पूरा पालन करना होगा। राजनीतिक गतिविधि में प्रतिभाग और पत्रकारिता जैसे कार्याें पर पाबंदी। 

सार ये है कि अब केवल पढ़ाने और केवल पढ़ाने पर ही ध्यान देना है। अपनी सारी काबिलियत इसी के लिए लगानी है। स्कूल में प्यार मोहब्बत से काम चलाना है, कोई चिकचिकबाजी नहीं। कर्म ही पूजा उद्देश्य होना चाहिए, बाकी ना टेंशन दो न टेंशन लो।  


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