यूपी चुनाव: सरकार छात्रवृत्ति योजना में करने जा रही बड़ा बदलाव, इस वर्ग को होगा फायदा

टीम भारत दीप |

प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में तीन हजार रुपये सालाना दिए जाते हैं।
प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में तीन हजार रुपये सालाना दिए जाते हैं।

आपकों बता दें कि यूपी में हर साल 56 लाख से अधिक गरीब परिवारों के छात्र दशमोत्तर छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति एवं पूर्व दशम छात्रवृत्ति योजना का लाभ उठाते हैं। इसमें से 14-15 लाख अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राएं शामिल होते हैं।

लखनऊ। यूपी सरकार आगामी चुनावी वर्ष में लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए एक से बढ़कर एक लुभानी योजना ला रही है। अब अनुसूचित जाति (एससी) के गरीब और जरूरतमंद छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति और फीस भरपाई योजना का लाभ देने के लिए नियमावली में अहम बदलाव करने जा रही है।

इस बार छात्रवृत्ति और फीस भरपाई के लिए पिछले वर्षों की तुलना में कटआफ को और नीचे लाया जाएगा। सरकार पात्रता की शर्तों में कुछ और रियायतें देने का प्रस्ताव ला रही है। जल्द ही नई नियमावली मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्वीकृति के बाद जारी कर दी जाएगी।

आपकों बता दें कि यूपी में हर साल 56 लाख से अधिक गरीब परिवारों के छात्र दशमोत्तर छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति एवं पूर्व दशम छात्रवृत्ति योजना का लाभ उठाते हैं। इसमें से 14-15 लाख अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राएं शामिल होते हैं।

अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में योगी सरकार इस वर्ष एससी छात्रवृत्ति योजना का दायरा बढ़ाने जा रही है। सरकार नियमों को इस तरह शिथिल करने जा रही है, ताकि योजना का लाभ अधिक से अधिक छात्रों को मिल सके।

दो अक्टूबर को बंटेगी प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति 

मालूम हो कि समाज कल्याण विभाग प्री-मैट्रिक यानी कक्षा नौ व दस के छात्र-छात्राओं को दो अक्टूबर को छात्रवृत्ति बांटेगा। गांधी जयंती के दिन समाज कल्याण निदेशालय में एक कार्यक्रम आयोजित करके समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री प्रतीक स्वरूप अपने हाथों से कुछ छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति देंगे।

बाकी छात्र-छात्राओं को उनके बैंक खाते में छात्रवृत्ति भेजी जाएगी। प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में तीन हजार रुपये सालाना दिए जाते हैं।इसी  तरह प्रदेश सरकार नवंबर में 51 हजार गरीब परिवारों की बेटियों का सामूहिक विवाह कराएगी। इस योजना के लिए सरकार ने 250 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है।

अभी तक इस योजना के तहत सात हजार जोड़ों के सामूहिक विवाह हो चुके हैं। इस योजना में प्रत्येक जोड़े पर 51 हजार रुपये सरकार की ओर से खर्च किए जाते हैं। इनमें से 35 हजार रुपये कन्या के खाते में, 10 हजार रुपये वर-वधू के लिए कपड़े, बर्तन व आभूषण पर खर्च होते हैं। छह हजार रुपये प्रति जोड़ा विवाह के आयोजन पर खर्च होता है।

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