यूपी चुनाव: ओवैसी की पार्टी का नहीं चला जादू, पूर्वांचल के सारे प्रत्याशियों की जमानत जब्त

टीम भारत दीप |

डॉ. अयूब का चुनाव दर चुनाव जनाधार खिसकता गया।
डॉ. अयूब का चुनाव दर चुनाव जनाधार खिसकता गया।

वर्ष 2017 के चुनाव में एआईएमआईएम ने सात और पीस पार्टी ने 13 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। पीस पार्टी को तीन तो एआईएमआईएम को एक सीट पर दस हजार से अधिक मत मिले थे। दोनों पार्टियों ने न केवल परिणाम प्रभावित किया बल्कि अपना मत प्रतिशत भी बढ़ाया।

गोरखपुर। यूपी विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी एक बार​ फिर फ्लाप साबित हुई, पूरे चुनाव के दौरान ओवैसी को सुनने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ जुट रही थी, लेकिन जिस तरह से ओवैसी को लोग सुनने पहुंच रहे थे, उस तरह से उनकी पार्टी के प्रत्याशियों को वोट नहीं दिया, इसलिए उनकी पार्टी के अधिकांश प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।  

विधानसभा चुनाव में बीजेपी और सपा गठबंधन की सीधी भिड़ंत हुई। इनके बीच में कभी भी छोटे दलों ने टक्कर नहीं दी। दलीय ध्रुवीकरण के बीच जनता ने उन्हें नकारते हुए न केवल हाशिये से भी बाहर रखा, बल्कि किसी की जमानत भी नहीं बचने दी।

अपने विवादित और भड़काऊ बयानों के लिए पहचाने जाने वाले डॉ. असदउद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) हो या फिर बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी। दोनों के गठबंधन और कई सीटों पर डॉ. मोहम्मद अयूब की पीस पार्टी का साथ भी कमाल न कर सका और इन पार्टियों का मत प्रतिशत बढ़ने की बजाय घट गया।

छोटे दलों के प्रत्याशियों की जमानत जब्त

वर्ष 2017 के चुनाव में एआईएमआईएम ने सात और पीस पार्टी ने 13 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। पीस पार्टी को तीन तो एआईएमआईएम को एक सीट पर दस हजार से अधिक मत मिले थे। दोनों पार्टियों ने न केवल परिणाम प्रभावित किया बल्कि अपना मत प्रतिशत भी बढ़ाया।

इस बार एआईएमआईएम और जन अधिकार पार्टी ने गठबंधन किया, जिसमें कुछ जिलों में पीस पार्टी भी शामिल हुई। गठबंधन ने कुल 16 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे। नेताओं ने सभाएं भी कीं, लेकिन जीतना तो दूर प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई। अपने सबसे अधिक जनाधार वाले संतकबीर नगर जिले में पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अयूब तक जमानत तक नहीं बचा सके।

डॉ.अयूब ने खोया अपना जनाधार

आपकों बता दें कि खलीलाबाद सीट से वर्ष 2012 में विधायक बनने वाले डॉ. अयूब को 2017 में 42 हजार मत मिले थे, लेकिन 2022 में घटकर 19299 ही रह गए। 2017 में जिस मेंहदावल में 25 हजार से अधिक मत मिले थे, इस बार वहां 1405 वोट ही मिले।

एआईएमआईएम को सिद्धार्थनगर की इटवा सीट पर 3443 तो डुमरियागंज में 4352 मत ही मिले। बांसी में पीस पार्टी लड़ी और 971 वोट ही मिले। शोहरतगढ़ से दोनों पार्टियों ने प्रत्याशी नहीं उतारा, जबकि 2017 में वहां चार-पांच हजार मत मिले थे।

हर सीट पर घटे वोट

देवरिया के सलेमपुर में एआइएमआइएम को 2732, जन अधिकार पार्टी को रुद्रपुर में 643, देवरिया शहर में 753, रामपुर कारखाना में 957 और भाटपाररानी में 2154 मत मिला। कुशीनगर में एआइएमआइएम ने खड्डा पडरौना व कुशीनगर से प्रत्याशी उतारे, लेकिन कोई भी हजार का आंकड़ा नहीं पार सका। 2017 में उसे खड्डा में नौ हजार तो पीस पार्टी को 71 सौ मत मिले थे।

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