यूपी: भाजपा यूं दे रही ​हिदुंत्व को धार, विपक्ष तलाश रहा अपना खोया जनाधार

टीम भारत दीप |
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यूपी में 2022 की लड़ाई 2021 में ही आरंभ हो चुकी है।
यूपी में 2022 की लड़ाई 2021 में ही आरंभ हो चुकी है।

भाजपा जातीय समीकरण को साधने से दूर हिंदुत्व को धार देने का काम कर रही है। इन दिनों एक पखवारे के भीतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में विकास को गति देने का प्रयास किया है। साथ ही केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी हाल में मिर्जापुर आकर विकास के साथ ही हिदुत्व को धार देने की कोशिश की।

लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे यूपी की विधानसभा चुनाव का कांउटडाउन शुरू हो चुका है। मसलन सात से आठ माह में सूबे की सियासत किस करवट बैठेगी, यह सबके सामने होगा। ऐसे में सियासी दलों ने अपनी—अपनी रणनीति को अंजाम देने में पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं बसपा एवं कांग्रेस ने खोया जनाधार हासिल करने के लिए जातीय सम्मेलनों की झड़ी लगा दी है।

इधर सपा व रालोद भी जातीय समीकरण को अपने पक्ष में करने की कवायद में जुटे हैं। इन सबके बीच सत्तासीन भाजपा ने सूबे में जातीय तिलिस्म तोडऩे के लिए हिदुंत्व को धार देने के साथ ही संगठन को बूथ स्तर पर मजबूती देने का काम कर रही है। इन सब में कौन कितना कामयाब होगा यह तो वक्त बताएगा। बहरहाल यूपी में 2022 की लड़ाई 2021 में ही आरंभ हो चुकी है।

लेकिन मौजूदा सियासी हालात को देख भाजपा सबसे मजबूत दिख रही हैं, क्योंकि विपक्ष का बिखराव बढ़ता जा रहा है। सियासी पंडितों का मानना है कि विपक्ष का जितना बिखराव होगा भाजपा के लिए राह उतनी ही आसान होगी। मौजूदा परिदृश्य की बात करें तो सपा, कांग्रेस, बसपा, आप, एआईएमआईएम, भासपा, प्रसपा मुख्य रूप से अकेले अकेले ही चुनाव मैदान में उतरने का दंभ भर रहे हैं।

उधर कांग्रेस एवं बसपा दोनों ही इन दिनों जातीय सम्मेलन कर रहे हैं। बसपा ब्राम्हणों को साधने के लिए ताबड़तोड प्रबुद्घवर्ग संगोष्ठियां कर रही है। कांग्रेस भी पिछड़ी जातियों का अलग—अलग सम्मेलन कर रही है। वहीं सपा यादव एवं मुस्लिमों को अपने साथ लाने का भरसक प्रयास कर रही है। वहीं सपा का सहयोगी दल रालोद भी जाट एवं मुस्लिमों को एक साथ लाने के लिए भाई चारा सम्मेलन करने जा रहा है।

साथ ही एआईएमआईएम मुस्लिमों को, भासपा राजभर समाज को एक साथ लाने का प्रयास कर रही है। प्रसपा भी यादव एवं मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगाकर सपा का खेल बिगाडऩे का तैयारी कर रहा है।
इस तरह विपक्षी दल अपनी अपनी विचारधारा के अनुसार जातीय समीकरण को दुरूस्त करने का प्रयास कर रहे हैं।

तो वहीं भाजपा जातीय समीकरण को साधने से दूर हिंदुत्व को धार देने का काम कर रही है। इन दिनों एक पखवारे के भीतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में विकास को गति देने का प्रयास किया है। साथ ही केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी हाल में मिर्जापुर आकर विकास के साथ ही हिदुत्व को धार देने की कोशिश की।

वहीं बसपा के अयोध्या में एक सम्मेलन करने के बाद वहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डॉ दिनेश शर्मा भी दौरा कर हिदुंत्व को धार देने के प्रयास में जुट गए हैं। इस तरह प्रदेश सरकार ने यूपी के धार्मिक शहरों में चल रहे विकास कार्यो को तेज करने का काम कर रही है। जिससे बहुसंख्यक हिंदू समाज पुन: भाजपा की ओर आकर्षित हो सके।

बताया जा रहा है कि भाजपा का लक्ष्य पूर्व की तरह इस चुनाव में भी हिदुत्व के साथ राष्ट्रवाद को चुनावी मुद्दा बनाना है। इसी के सहारे भाजपा हिन्दू वोटों के बिखराव को रोकना चाहती है। वहीं कोरोना की दूसरी लहर में लोगों के बीच उपजी नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा नेता घर—घर दस्तक दे रहे हैं।

बहरहाल में मौजूदा हालात पर रोशनी डाले तो भाजपा अन्य दलों की तुलना में अभी मजबूत नजर आ रही है। आने वाले समय में तस्वीर का क्या रूख रहता है, यह तो समय ही तय करेगा।
 


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