उत्तराखंड आपदाः बचाव कार्य में हो रही देरी से प्रशासन पर फूटा पीड़ित परिवारों का गुस्सा

टीम भारत दीप |

लोगों ने परियोजना स्थल पर प्रदर्शन कर धीमी गति से चल रहे अभियान पर सवाल उठाए।
लोगों ने परियोजना स्थल पर प्रदर्शन कर धीमी गति से चल रहे अभियान पर सवाल उठाए।

पीड़ित परिवारों का धैर्य अब जवाब देने लगा है और प्रशासन पर लोगों का गुस्सा भी फूटने लगा है। दरअसल उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का काम जैसे जैसे लंबा खिंच रहा है, वैसे-वैसे पीड़ित परिवारों का धैर्य भी अब जवाब देने लगा है।

चमोली। उत्तराखंड में आई आपदा में चल रहे रेस्क्यू में हो रही देरी से पीड़ित परिवारों का धैर्य अब जवाब देने लगा है और प्रशासन पर लोगों का गुस्सा भी फूटने लगा है। दरअसल उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का काम जैसे जैसे लंबा खिंच रहा है, वैसे-वैसे पीड़ित परिवारों का धैर्य भी अब जवाब देने लगा है।

इसी क्रम में पीड़ित परिवारों के लोगों ने परियोजना स्थल पर प्रदर्शन कर धीमी गति से चल रहे अभियान पर सवाल उठाए। वहीं पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने मुश्किल से लोगों का गुस्सा शांत किया। बताया गया कि तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को शुक्रवार को छह दिन पूरे हो गए हैं। लेकिन बचाव दल अब भी उन तक पहुंच बनाने में नाकाम रहा है।

इधर,अलग अलग राज्यों और शहरों से आए पीड़ित परिवार लगातार अपनों की आस में प्रोजेक्ट स्थल पर जमा हैं। शुक्रवार को बचाव अभियान में कोई सफलता न मिलते देख, पीड़ितों का धैर्य जवाब दे गया। इस दरम्यान लोगों ने एनटीपीसी अधिकारियों और पुलिस प्रशासन को खरी खोटी सुनाई। तपोवन, ढाक, बिलागढ़ सहित कई गांव की महिलाएं भी अपने बच्चों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुईं।

बताया गया कि इनके परिजन भी सुरंग में फंसे हुए हैं। लोगों ने आरोप लगाया कि छह दिन बाद भी फंसे लोगों का पता न लगना अभियान की नाकामी है। रविंद्र थपलियाल, प्रकाश राणा ने कहा कि जेसीबी से सफाई नहीं हो पाई रही है तो प्रशासन दूसरा विकल्प क्यूं नहीं आजमा रहा है। लोगों ने ड्रिल का प्रयोग भी देरी से किए जाने पर नाराजगी जताई।

इससे पूर्व बुधवार को भी लोगों ने अधिकारियों के सामने विरोध दर्ज कराया था। बताया गया कि लोग इस कारण भी नाराज है कि बचाव अभियान की सही जानकारी तक उनको नहीं दी जा रही है।
 


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