विश्व जल दिवस: पानी की बर्बादी पर नहीं लगाई गई लगाम तो और भी बुरे हो जाएंगे परिणाम

टीम भारत दीप |

जल शक्ति मंत्री ने यहां आयोजित जल मेला का फीता काटकर उद्घाटन किया।
जल शक्ति मंत्री ने यहां आयोजित जल मेला का फीता काटकर उद्घाटन किया।

मौजूदा समय में जिस औसत से हम पानी का उपयोग—दोहन कर रहें है। मंत्री ने कहा कि हम जल संचयन के विकल्पों का उपयोग कर जल संचयन करते है तब भी उपयोग—दोहन के मुकाबले हम करीब 40 प्रतिशत ही संचयन कर पाएंगे।

लखनऊ। सूबे के जल शक्ति मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह ने पानी की महत्ता को रहीम दास के इस दोहे 'रहिमन पानी रखिए बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरे मोती मानस चून।।' के मार्फत समझाते हुए कहा कि पानी ही जीवन है, पानी से ही सबकुछ है।

डॉ. सिंह ने कहा कि जब आजाद भारत की पहली जनगणना हुई भी तो प्रति व्यक्ति प्रति दिन पानी की उपलब्धता लगभग 6000 घन मीटर थी, 2001 की जनगणना में यह औसत घटकर 2000 घनमीटर रह गया, और 2011 की जनगणना में यह औसत 1500 घन मीटर रह गया।

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में जिस औसत से हम पानी का उपयोग—दोहन कर रहें है। मंत्री ने कहा कि हम जल संचयन के विकल्पों का उपयोग कर जल संचयन करते है तब भी उपयोग—दोहन के मुकाबले हम करीब 40 प्रतिशत ही संचयन कर पाएंगे।

जल शक्ति मंत्री ने कहा कि इससे आप अन्दाजा लगा सकते है कि आने वाले कितने वर्षों बाद हमारे पास साफ पानी की उपलब्धता एक गम्भीर समस्या बनने वाली है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमें वर्षा जल संचयन, तालाबों के संरक्षण एवं पानी बचाने के अन्य विकल्पों पर ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत है।

इससे पहले जल शक्ति मंत्री ने यहां आयोजित जल मेला का फीता काटकर उद्घाटन किया। जल मेला में वाटर एड इण्डिया सहित सीजीडब्लूबी, आगा खां, माडल गांव, वाॅश साॅल्यूशन, आईएजी समेत कई संस्थाओं ने पानी से सम्बन्धित माडल का प्रर्दशन किया व जागरूकता सामग्री का लोगों में वितरण भी किया ।

वहीं कार्यक्रम में एनएचएम के अपर निदेशक डा. हीरा लाल ने कहा कि पानी को किसी भी प्रकार से बनाया नही जा सकता पानी का समुचित उपयोग कर पानी की बरबादी पर रोक लगाने के साथ साथ वर्षा जल संयचन—संवर्धन कर भविष्य में होने वाली पानी की समस्या को कम किया जा सकता है।

जल संचयन के कम लागत वाले विकल्पों पर चर्चा करते हुए कहा कि छत वर्षा जल संग्रहण को प्रत्येक परिवार—घर को अपनाने की जरूरत है।

अपने सम्बोधन के दौरान उत्तर प्रदेश भूजल बोर्ड के वरिष्ठ भूगर्भ जल वैज्ञानिक आर.एस.सिन्हा ने भूजल के गिरते जल स्तर के कारण भविष्य में उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर चर्चा करते हुए कहा कि मौजूदा समय में नदिया सूख रही है।

इनके बहाव क्षेत्र में वर्षा जल संचयन के विकल्पों के निर्माण किए जाएं तो इन्हें सूखने से बचाने के साथ साथ गिरते जल स्तर को कम किया जा सकता है।

उधर वाटर एड लखनऊ संस्था द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पानी बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए भदोही जनपद से मैराथन के द्वारा धावक नायब बिन्द एवं उनके साथ साईकिल यात्रा कर रहे मुरलीधर एवं सुनील कुमार को इस ऐतिहासिक पहल के लिए सम्मानित भी किया गया।

कार्यक्रम में प्रभा, पीके त्रिपाठी, बलवीर सिंह, प्रो. बेंकटेस दत्ता, अजीत सिंह, फार्रूख़ रहमान खान, पंकज हरी अरेला, अंजली त्रिपाठी, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. शिशिर चन्द्रा समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।


 


संबंधित खबरें