गोरखपुर: नदी किनारे दिखी आस्था की लहर, उगते सूर्य को दिया गया अर्घ्य

टीम भारतदीप |

सूर्यदेव की आराधना का चार दिवसीय छठ पूजा का महापर्व सम्पन्न हुआ।
सूर्यदेव की आराधना का चार दिवसीय छठ पूजा का महापर्व सम्पन्न हुआ।

उगते भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ सूर्यदेव की आराधना का चार दिवसीय छठ पूजा का महापर्व सम्पन्न हुआ। उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए व्रती महिलाएं एवं श्रद्धालु जलाशय एवं नदियों के किनारे स्थित छठ घाटों पर सूर्योदय से काफी पहले ही पहुंच गए।

गोरखपुर। आस्था का महापर्व छठ कोरोना वायरस पर भारी पड़ गया। उगते भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ सूर्यदेव की आराधना का चार दिवसीय छठ पूजा का महापर्व सम्पन्न हुआ। उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए व्रती महिलाएं एवं श्रद्धालु जलाशय एवं नदियों के किनारे स्थित छठ घाटों पर सूर्योदय से काफी पहले ही पहुंच गए।

छठ गीतों के साथ व्रती महिलाएं अपने घरों से मौसमी फलों एवं पूजन सामग्री से सजे सूपा एवं दऊरा के साथ निकलकर छठ घाट पहुंचे व्रती महिलाओं ने पानी मे खड़े रहकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। बता दें कि इससे पहले श्रद्धालु सूर्यदेव के उदित होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। इसके बाद सूर्योदय के साथ ही श्रद्धालुओं ने भगवान भास्कर को कच्चे दूध एवं जल का अर्घ्य दिया।

सूर्यदेव को अर्द्ध देने के बाद पूजन, हवन, आरती के साथ छठ माई का प्रसाद वितरण किया गया। छठ माई के प्रसाद को ग्रहण करने के लिए श्रद्धालुओं ने घंटों छठ घाट पर खड़े रहकर प्रतीक्षा किया। छठ घाट पर भगवान भास्कर के उदित होने की प्रतीक्षा करते हुए श्रद्धालुओं ने पटाखे फोड़कर भी इस उत्सव का आनंद उठाया।

छठ पूजा के इस पर्व में सभी धर्मों के लोगो ने भारी संख्या में सम्मिलित होकर कलियुग के प्रत्यक्ष देवता सूर्यदेव एवं छठ माई का आशीर्वाद प्राप्त कर प्रसाद भी ग्रहण किया। सूर्य पूजन के उपरांत व्रती महिलाओं द्वारा अखण्ड सौभाग्य के प्रतीक सिंदूर को विवाहित महिलाओं की मांग मे लगाया तथा श्रद्धालुओं को सिंदूर का टीका लगाया गया। 

गौरतलब है कि षष्ठी देवी की पूजा जल के किनारे की जाती है। बताया जाता है कि इसके पीछे भी एक कारण है। देवी कात्यायनी जिसे षष्ठी देवी कहा जाता है, उनका जल से अगाध प्रेम था। बता दें कि इस व्रत का उत्सव उत्तर भारत के पूर्वी भाग में (बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग) तथा बांग्लादेश के पश्चिमी भाग में अत्यन्त श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाया जाता है।

इस महोत्सव मे कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक पूजा का विधान है। श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के साथ जो लोग मान षष्ठी देवी के साथ सूर्य की पूजा करते हैं उन व्रतियो की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसमे सन्देह नहीं है कि सच्ची आराधना देवता को आकर्षित करती है। दिन प्रतिदिन आस्था का महापर्व छठ बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और दिल्ली में सर्वाधिक मनाया जाने लगा है।


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