आगरा: मजदूर दंपती की दर्दभरी दास्तां! भूख की तड़प ने बीच सड़क यूं कर दिया बीमार

टीम भारत दीप |

दोनों की भूखे-प्यासे 8 दिन में 200 किलोमीटर तक पैदल चलने से तबियत बिगड़ गई।
दोनों की भूखे-प्यासे 8 दिन में 200 किलोमीटर तक पैदल चलने से तबियत बिगड़ गई।

रमेश के मुताबिक उनके पास दिल्ली में न तो कोई काम था और न ही जेब में पैसे। जब भूखे मरने की नौबत आ गई तो वह पैदल ही भोपाल के लिए निकल पड़े। बताया गया कि आठ दिन तक वह पैदल चलते रहे। रास्ते में लोगों से मांगकर कुछ न कुछ खाकर गुजारा कर लेते थे और सड़क किनारे सो लेते थे। बताया कि 200 किलोमीटर पैदल चलकर आगरा पहुंचे तो दोनों को खाना नहीं मिला। उनके मुताबिक सोमवार से ही दोनों भूखे थे।

आगरा। कोरोना के कारण बदली तस्वीर के बीच लोगों की बदहाली आज भी दर्दनाक सच के रूप में सामने आ रही है। दरअसल कोरोना की दूसरी लहर के कम होने पर भले ही लॉकडाउन हट गया। मगर इसका साइड इफेक्ट अभी भी बरकरार है। ताजा मामला यूपी के आगरा जिले का है। यहां एक दम्पति की बदहाली की ऐसी दर्दनाक तस्वीर और कहानी सामने आई है।

जिसने हर किसी का दिल दहला दिया। दरअसल यहां दिल्ली से पैदल भोपाल के लिए निकले दंपती बदहाल अवस्था में मिले। बताया गया कि भूखे-प्यासे 8 दिन में 200 किलोमीटर तक चलने से दोनों की हालत काफी खराब हो गई है। पत्नी का भूख से पेट दर्द होने लगा। सड़क पर महिला को तड़पता देख आस-पास के लोगों ने सरकारी अस्पताल पहुंचाया, मगर वहां उससे 300 रुपए मांग लिए गए।

न मिलने पर महिला इमरजेंसी विभाग के बाहर ही तड़पती दिखी। मीडिया कर्मियों ने किसी तरह अस्पताल प्रशासन से बात करके उसे भर्ती कराया।जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के रहने वाले रमेश आदिवासी दिल्ली में मजदूरी करते हैं। नई तैयार होने वाली बिल्डिंग में पत्नी किरण के साथ पत्थर ढोने का काम करते हैं।

रमेश के मुताबिक कोरोना की पहली लहर में उसके सुपरवाइज़र ने उसकी काफी मदद की और छोटा मोटा काम भी दिलवाया। लेकिन दूसरी लहर में हालात बेहद खराब हो गई। सुपरवाइजर मोहन भी कोरोना की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई। फिर कंपनी ने उसकी बकाया मजदूरी का हिसाब न होने की बात कहकर उसे बिना मजदूरी दिए भगा दिया।

रमेश के मुताबिक उनके पास दिल्ली में न तो कोई काम था और न ही जेब में पैसे। जब भूखे मरने की नौबत आ गई तो वह पैदल ही भोपाल के लिए निकल पड़े। बताया गया कि आठ दिन तक वह पैदल चलते रहे। रास्ते में लोगों से मांगकर कुछ न कुछ खाकर गुजारा कर लेते थे और सड़क किनारे सो लेते थे। बताया कि 200 किलोमीटर पैदल चलकर आगरा पहुंचे तो दोनों को खाना नहीं मिला।

उनके मुताबिक सोमवार से ही दोनों भूखे थे। आगरा पहुंचते ही महिला की हालत खराब हो गई। भूख के मारे उसका पेट दर्द करने लगा। वह बीच सड़क ही तड़पने लगी। इस पर आस-पास के लोगों ने देखा तो उसे सरकारी अस्पताल पहुंचा दिया। रमेश के मुताबिक सड़क किनारे पत्नी को तड़पता देख कुछ लोगों ने एसएन मेडिकल कॉलेज पहुंचा दिया।

यहां अस्पताल के स्टाफ ने भर्ती करने के लिए उनसे 300 रुपए मांग लिए। पैसे के चलते दो दिन से भूखे रमेश परेशान हो गए। इसके बाद इमरजेंसी के बाहर ही दंपति रोने लगा। ये देख मीडिया कर्मियों ने उसकी मदद की और अस्पताल में भर्ती कराया। रमेश के मुताबिक मध्य प्रदेश में मजदूरों की बात टोल फ्री नंबर पर एक बार में सुन ली जाती है। यहां तो कोई सुनने वाला ही नहीं है।

रमेश कहते हैं कि उनके लिए मीडिया कर्मी भगवान बनकर सामने आए। बताया कि यदि वो नहीं होते तो उनकी पत्नी तड़पकर मर जाती। इधर मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल संजय काला ने मामले की जानकारी न होने की बात कही है। उनके मुताबिक घटना की जानकारी लेकर उसकी जांच कराई जाएगी। बताते चलें कि कोरोना की पहली लहर के दौरान बड़ी संख्या में मजदूरों ने दिल्ली और मुंबई से पलायन किया था।

ज्यादातर मजदूर यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश के थे। उस दरम्यान कई दर्दनाक कहानियां और तस्वीरें सामने आई थी। जिसके बाद राज्य और केंद्र सरकारों ने प्रवासी मजदूरों के लिए कई तरह की योजनाएं भी चलाई थीं।
 


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