माधुरी को डांसिंग क्वीन बनाने वाली सरोज खान का दूसरा नाम नहीं जानते होंगे आप

टीम भारत दीप |
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हर बडे़ कलाकार की तरह सरोज को भी फिल्मी दुनिया में लंबा इंतजार करना पड़ा।
हर बडे़ कलाकार की तरह सरोज को भी फिल्मी दुनिया में लंबा इंतजार करना पड़ा।

उनको पहला बे्रक 1974 में फिल्म गीता मेरा नाम में मिला था लेकिन उनकी पहचान बनी अनिल कपूर और श्रीदेवी की मशहूर फिल्म मिस्टर इंडिया के गाने ‘हवा हवाई‘ से।

बाॅलीवुड डेस्क। मशहूर बाॅलीवुड कोरियोग्राफर सरोज खान अब इस दुनिया में नहीं हैं। शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने के कारण मुंबई में उनका निधन हो गया। अभिनेत्री माधुरी दीक्षित पर फिल्माए गए तेजाब फिल्म के गाने ‘एक दो तीन...‘ को उन्होंने ही कोरियोग्राफ किया था। इसके बाद सरोज खान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। करीब 2000 गानों को कोरियोग्राफ करने वाली सरोज खान के जिंदगी में भी कई रंग आए। जिनमें ढलकर ही वे बाॅलीवुड के शीर्ष कोरियोग्राफरों में शामिल हुईं।

सरोज का जन्म 22 जनवरी 1948 को जब हुआ तो मुंबई मुंबई नहीं था। आजाद भारत के नक्शे में लोग इसे बंबई राज्य के रूप में जानते थे। सरोज का जन्म एक खत्री परिवार में हुआ और उनके पिता  किशनचंद साधू सिंह और माता नोनी सिंह उत्तर पूर्व से विस्थापित होकर बंबई में बस गए थे। सरोज का बचपन में नाम निर्मला नागपाल था।

असल में निर्मला नागपाल को एक्टिंग का शौक था और बहुत छोटी उम्र से उन्होंने एक्टिंग की शुरूआत कर दी। मात्र तीन साल की उम्र में वे फिल्म नजराना में छोटी बच्ची श्यामा के रूप में नजर आईं। कोरियोग्राफर बी. सोहनलाल के संरक्षण में उन्होंने डांस की शिक्षा ली। इन्हीं सोहनलाल के साथ मात्र 13 साल की उम्र में निर्मला नागपाल ने विवाह कर लिया। उस समय सोहनलाल की उम्र 43 साल थी और वे चार बच्चों के पिता थे। असल में उन्होंने निर्मला से ये बात छिपाई।

शायद इसीलिए से शादी ज्यादा दिन नहीं चली और चार साल बाद दोनों अलग हो गए। साल 1975 में निर्मला का विवाह व्यापारी सरदार रोशन खान के साथ हुआ और वे सरोज खान हो गईं। इसके बाद सरोज ने कोरियोग्राफी को ही अपनाया और वे इसी के सर्वाेच्च मुकाम पर पहुंची। 

हर बडे़ कलाकार की तरह सरोज को भी फिल्मी दुनिया में लंबा इंतजार करना पड़ा। उनको पहला बे्रक 1974 में फिल्म गीता मेरा नाम में मिला था लेकिन उनकी पहचान बनी अनिल कपूर और श्रीदेवी की मशहूर फिल्म मिस्टर इंडिया के गाने ‘हवा हवाई‘ से। 

यह फिल्म सन 1987 में आई थी। इसके बाद नगीना, चांदनी और फिर मौका आया तेजाब का। 1988 में बनी इस फिल्म का एक गाना बहुत मशहूर हुआ ‘एक दो तीन....‘। इसी गाने के साथ माधुरी और सरोज दोनों बाॅलीवुड के एलीट कलाकारों में शामिल हो गईं।सेट पर शायद माधुरी के रूप में सरोज ही डांस कर रही होती थीं। इसीलिए ये जोड़ी साल 2003 में आई संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास में फिर से ‘डोला रे डोला‘ गाने के लिए फिल्मफेयर अवार्ड लेकर आई। 

इन सालों में हर मशहूर फिल्म में सरोज खान ही बतौर कोरियोग्राफर रहीं। 2019 में आई फिल्म मणिकर्णिकाः द क्वीन आॅफ झांसी के बाद फिल्म कलंक बतौर कोरियोग्राफर उनकी आखिरी फिल्म थी। 3 जुलाई 2020 को सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें बांद्रा के गुरू नानक अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहीं उन्होंने आखिरी सांस ली। 

सरोज की बेटी सुकैना खान दुबई में डांसिग इंस्टीट्यूट चलाती हैं। उनके एक बेटे भी हैं जिनका नाम हामिद है। बाॅलीवुड के अलावा सरोज कई रिएलटी शो में बतौर जज भी शामिल हुईं। उनका जाना बाॅलीवुड और डांस प्रेमियों के लिए बड़ी छति है।


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