मायूस न हों फैन्स, भारतीय क्रिकेट में अब ‘धोनी‘ आते रहेंगे

संपादक |
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जो सही लगा उसे प्रयोग करने में धोनी हमेशा सफल रहे।
जो सही लगा उसे प्रयोग करने में धोनी हमेशा सफल रहे।

धोनी जानते थे कि आखिर खेल की जरूरत क्या है, खेल को लेकर जो दूरदर्शिता खिलाड़ी में होनी चाहिए वो धोनी ने दिखाई।

भारतीय क्रिकेट में एक ऐसा समय भी था जब सचिन, सौरव और राहुल की तिकड़ी पर पूरी टीम निर्भर रहती थी। यह वो दौर भी था, जब देश के किसी छोटे शहर का कोई लड़का मुश्किल ही भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बन पाता था। 

भारतीय किक्रेट मुंबई, बैंगलोर, दिल्ली और कोलकाता की छाया में चल और पल रहा था। ऐसे में समय में महेंद्र सिंह धोनी ने झारखंड के रांची से निकलकर भारतीय टीम में कदम रखा। धोनी का टीम में आना ही छोटे शहर और मध्यम वर्गीय परिवार के करोड़ों युवाओं के लिए उम्मीद की किरन था। 

धोनी आए और शुरूआती असफलता के बाद आखिर टीम में जम ही गए। इसके बाद उन्होंने जो सबसे बड़ा कदम उठाया और टीम इंडिया के आधार को ही बदलने का साहस कर डाला। 

टीम की कमान मिलते ही सबसे पहले मठाधीशों की विदाई हुई, जैसा कि फिल्म एमएस धोनीः द अनटोल्ड स्टोरी में है। इससे साबित है कि धोनी जानते थे कि आखिर खेल की जरूरत क्या है, खेल को लेकर जो दूरदर्शिता खिलाड़ी में होनी चाहिए वो महंेद्र सिंह धोनी ने दिखाई। 

यही कारण रहा कि वे एक के बाद एक सारे फार्मेट में टीम को सर्वाेच्च शिखर तक लेकर गए। टेस्ट टीम से सन्यास के फैसले में भी धोनी की यही दूरदर्शिता थी, क्योंकि उन्हे पता था कि आने वाला समय टेस्ट का है ही नहीं। 

जो सही था उसे पहचानने में धोनी ने कभी गलती नहीं की, जो सही लगा उसे प्रयोग करने में धोनी हमेशा सफल रहे। इसीलिए वे आज भारतीय टीम के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में से एक हैं। 

धोनी इससे भी वाकिफ थे कि इतिहास उनके साथ भी दोहराया जा सकता है, इसलिए उन्होंने अलविदा कहने का साहस बनाए रखा। जहां अनफिट महसूस किया उसे छोड़ ही दिया। 

आज उनके फैन्स भले ही मायूस हैं लेकिन बीते साल विश्व कप के बाद उन्हें आभास हो गया था कि धोनी अब ज्यादा दिनों तक टीम में दिखाई देने वाले नहीं हैं। कोरोना संकट ने खेल के अंतराल को और भी लंबा कर दिया। 

धोनी फिर से दूरदर्शी साबित हुए, आने वाले एक साल तक अंतराष्ट्रीय क्रिकेट के पटरी पर आने की उम्मीद भी नहीं है। इसीलिए धोनी ने एक बार फिर साहस दिखाया है, छोड़ने का, अलविदा कहने का। यह साहस हर किसी में नहीं होता। इसीलिए धोनी धोनी हैं। 

लेकिन महेंद्र सिंह धोनी आज अपने पीछे जो लीक छोड़कर जा रहे हैं, जो व्यवस्था वे भारतीय टीम को देकर जा रहे हैं, उसमें कई धोनी के फिर से टीम में आने का रास्ता खुला है। इसलिए फैन्स निराश न हों, भले ही सात नंबर की जर्सी वाले न हों लेकिन धोनी आगे भी आते रहेंगे। 


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