संजीत मर्डर केस में 'फेल' कानपुर पुलिस का खुलासा, दोस्तों ने अपहरण के बाद मार डाला

टीम भारत दीप |

आईजी मोहित अग्रवाल और एसएसपी दिनेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
आईजी मोहित अग्रवाल और एसएसपी दिनेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

पुलिस ने बताया कि संजीत के दोस्तों ने ही हत्या का साजिश रची और इसमें दो महिलाएं भी शामिल थीं। पुलिस ऑपरेशन फेल होने पर बर्रा थाना इंचार्ज रणजीत राय को सस्पेंड कर दिया गया है।

कानपुर। कानपुर से 22 जून को लापता लैब टैक्नीशियन संजीत यादव के मामले का खुलासा पुलिस ने कर दिया। पांच आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद आईजी कानपुर ने दावा किया कि संजीत के दोस्तों ने ही फिरौती के लिए उसका अपहरण किया और बाद में हत्या कर दी। 

इधर परिवार आरोप है कि पुलिस की नाकामी के कारण उनके बेटे की हत्या हुई है। पुलिस ने हमारे रूपये भी लुटवा दिए और बेटा भी नहीं मिला। संजीत का शव अभी तक बरामद नहीं हुआ है। 
 
पुलिस की नाकामी और लापरवाही पर उठ रहे सवालों के बीच आईजी मोहित अग्रवाल और एसएसपी दिनेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। पुलिस ने बताया कि संजीत के दोस्तों ने ही हत्या का साजिश रची और इसमें दो महिलाएं भी शामिल थीं। पुलिस ऑपरेशन फेल होने पर बर्रा थाना इंचार्ज रणजीत राय को सस्पेंड कर दिया गया है। 

30 लाख रुपये की फिरौती देने के आरोप में आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा, पीड़ित के रिश्तेदारों का दावा है कि किडनैपर्स को 30 लाख रुपये की फिरौती दी गई। लेकिन, अभी तक की जांच में पता चला है कि आरोपियों को फिरौती की रकम नहीं मिली। हम सारे पहलुओं से केस की जांच कर रहे हैं। 

दोस्त ज्ञानेंद्र ने रची साजिश, 27 जून को हत्या 
पुलिस ने बताया कि दोस्तों ने ही संजीत यादव की हत्या की। उन्होंने कहा कि ज्ञानेंद्र यादव नाम के शख्स ने हत्या की साजिश रची जो संजीत के साथ काम करता था। संजीत ने उसे खुद की लैब खोलने के प्लान के बारे में बताया था। जमा रकम की जानकारी भी दी थी। लालच में आकर ज्ञानेंद्र ने अपने दोस्त का अपहरण करने के बाद हत्या कर दी। 
 
पुलिस ने बताया कि संजीत को 22 जून को अगवा किया गया था जबकि 27 जून को उसकी हत्या कर दी गई। 29 जून को परिजनों के पास फिरौती के लिए फोन आया था। किडनैपर्स ने 30 लाख रुपये फिरौती की मांग की थी। हत्या के बाद शव को पांडु नदी में फेंक दिया गया। पुलिस शव बरामद करने की कोशिश कर रही है। 

पुलिस का फेल आॅपरेशन 
बता दें कि कानुपर के बर्रा थाना क्षेत्र में पान की दुकान चलाने वाले चमन यादव के बेटे संजीत यादव 22 जून को लापता हुए। तीन दिन बाद चमन यादव के मोबाइल पर एक फोन आया और उन्होंने संजीत को छोड़ने के बदले 30 लाख फिरौती मांगी। चमन का कहना है कि उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस को दी। 

पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने एक प्लान के तहत उनसे 30 लाख का इंतजाम करने को कहा। परिवार ने अपना मकान, जेवर आदि बेचकर 30 लाख जमा किए। इसके बाद 13 जुलाई को चमन यादव पुलिस के दिए हुए बैग में रुपये रखकर बाइक से किडनैपर की बताई जगह पर गए। 

परिजनों और पुलिस को छकाते हुए अपहर्ता उन्हें शहर भर में घुमाते रहे, बाद में फोन कर उन्हें गुजैनी हाईवे पर आने को कहा। रात करीब आठ बजे हाईवे के ऊपर पहुंचने पर किडनैपर ने फोन कर उनसे नीचे से गुजर रही रेलवे पटरी पर बैग फेंकने को कहा। पुलिस के इशारा करते ही उन्होंने बैग नीचे फेंक दिया। 

पुलिस हाईवे के किनारे से नीचे उतरकर पहुंचती, अपहरणकर्ता रुपयों से भरा बैग लेकर फरार हो गए। परिवार का आरोप है कि बर्रा थाना प्रभारी उनसे लगातार बैग फेंकने को कहते रहे और बाद में उन्हें घर भेज दिया।

संजीत की बहन रूचि ने मीडिया के सामने कहा कि रूपये देने से एक दिन पहले वह खुद एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता के कार्यालय गई थीं। एसपी अपर्णा गुप्ता ने एक वीडियो में बड़ी आसानी से बात स्वीकार की कि बैग फ्लाइओवर से नीचे फंेका और पुलिस जब तक नीचे गई किडनैपर भाग गए। हालांकि उन्होंने ये कहा कि बैग में रूपये नहीं थे। 


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