कासगंज: 108 साल बाद लौटीं मां अन्‍नपूर्णा की प्रतिमा, मान्‍यता है कि अब नहीं सोएगा कोई भूखा

टीम भारत दीप |
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कासगंज मां की प्रतिमा पहुंचने पर हुई पूजा-अर्चना। फोटो साभार जागरण
कासगंज मां की प्रतिमा पहुंचने पर हुई पूजा-अर्चना। फोटो साभार जागरण

कनाडा से 108 साल स्‍वदेश वापस लौटींं मां अन्‍नपूर्णा की प्रतिमा। ऐसी मान्‍यता है कि अब कोई भूखा नहीं सोयेगा, मां अन्‍नपूर्णा का दिया ये वरदान एक बार फिर फलीभूत होगा। कासगंज की सीमा पर गांव डुकरिया नगला पर शोभायात्रा का स्‍वागत सदर विधायक देवेंद्र राजपूत के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं ने किया।

कासगंज। आज अलसुबह भोर की पहली किरण के साथ मां अन्‍नपूर्णा की प्रतिमा कासगंज जिले की सीमा में लाई गई। शास्त्रों के अनुसार देव आराधना का कार्य सुबह अच्छा माना जाता है, इसे संयोग ही कहेंगे कि प्रतिमा को यहां गुरुवार शाम को आना था।

मार्ग में समय अधिक लगने के कारण लगभग 12 घंटे विलंब के साथ ये शुक्रवार सुबह करीब पांच बजे कासगंज पहुंची है। कासगंज में मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा का जोरदार स्‍वागत किया गया।, मां के इंतजार में लोग रातभर जागते रहे।अल सुबह जब प्रतिमा पहुंची तो सन्‍नाटा जयघोष में बदल गया।

प्रदेश की तीर्थनगरी सोरों में यह प्रतिमा लगभग सुबह आठ बजे पहुंच पाएगी। आपकों बता दें कि चोरी के बाद कनाडा से 108 साल स्‍वदेश वापस लौटींं मां अन्‍नपूर्णा की प्रतिमा। ऐसी मान्‍यता है कि अब कोई भूखा नहीं सोयेगा, मां अन्‍नपूर्णा का दिया ये वरदान एक बार फिर फलीभूत होगा।

कासगंज की सीमा पर गांव डुकरिया नगला पर शोभायात्रा का स्‍वागत सदर विधायक देवेंद्र राजपूत के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं ने किया। सोरों में कार्यक्रम होने के बाद यहां से भव्‍य शोभायात्रा के रूप में प्रदेश सरकार प्रतिमा को काशी लेकर जाएगी, वहां प्रतिमा की स्‍थापना कराई जाएगी।

सोरों में होगा भव्‍य कार्यक्रम

मां अन्नपूर्णा यात्रा के लिए तीर्थ नगरी सोरों को सजाया गया है। हरिपदी गंगा के तट को दीपों से जगमगाया गया है। सोरों में इस यात्रा को गुरुवार शाम को ही पहुंचना था इसलिए 5100 दिये जलाए गए थे। रंगोली सजाई गई।

जबकि शोभायात्रा शुक्रवार को लगभग 12 घंटे विलंब के साथ सुबह सात बजे पहुंची है। कासगंज से सोरों तक 21 स्थानों पर शोभायात्रा का स्वागत किया गया। कासगंज जिले की सीमा के गांव डुकरिया नगला पर शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे शोभायात्रा पहुंची। जहां शोभायात्रा के जिला संयोजक रामेश्वर महेरे, सदर विधायक देवेंद्र राजपूत, राजवीर भल्ला, गोविंद महेरे ने कार्यकर्ताओं के साथ शोभायात्रा का स्वागत किया।

आर्ट गैलरी में रखी थी प्रतिमा

मां अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा के मैकेंजी आर्ट गैलरी, यूनिवर्सिटी आफ रेजिना में रखी गई थी। इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकीन नार्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार बनाया गया था।

यहां पर 2019 में विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की कलाकार दिव्या मेहरा को यहां प्रदर्शनी के लिए बुलाया गया था। जहां उन्होने मूर्ति पर अध्ययन किया और दूतावास को सूचित किया तो पता चला कि वर्ष 1913 में वाराणसी में गंगा किनारे मूर्ति चोरी हुई थी।

वर्ष 1913 में वाराणसी से यह प्रतिमा चोरी हुई थी और कनाडा के बिनिपेग म्यूजियम में भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा की नजर प्रतिमा पर पड़ी और उनके प्रयासों के बाद यह प्रतिमा दूतावास की पहल के बाद भारत सरकार को इसे कनाडा सरकार की पहल पर सौंप दिया गया।

बलुआ पत्थर से बनी है मूर्ति

चुनार के बलुआ पत्थर से बनी यह मूर्ति 18 वीं सदी की बताई जाती है। जिनके एक हाथ में कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच है। महादेव की नगरी काशी के लोगों को कभी भूखा न सोने देने वाली धन धान्य की देवी मां अन्नपूर्णा की मूर्ति का इंतजार काशी को अब खत्म होने जा रहा है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार काशी में एक बार भीषण अकाल पड़ा था तो भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा का ध्यान करने के बाद उनसे भिक्षा मांगी थी। तब अन्नपूर्णा ने कहा था कि अब से काशी में कोई भूखा नहीं सोएगा।

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