काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मजिस्द विवाद: कोर्ट ने सर्वेक्षण को दी मंजूरी, यूपी सरकार उठाएगी खर्च

टीम भारत दीप |

1669 में मंदिर को तोड़ा गया था और फिर विवादित ढांचा खड़ा कर दिया गया था।
1669 में मंदिर को तोड़ा गया था और फिर विवादित ढांचा खड़ा कर दिया गया था।

गुरूवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में पुरातात्विक सर्वेक्षण पर फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले में सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी गई है। साथ ही इसका खर्च राज्य सरकार से उठाने को कहा गया है।

लखनऊ। बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मजिस्द विवाद को लेकर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सर्वेक्षण को मंजूरी दी है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि सर्वेक्षण का खर्च यूपी सरकार उठाएगी।

दरअसल गुरूवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में पुरातात्विक सर्वेक्षण पर फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले में सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी गई है।

साथ ही इसका खर्च राज्य सरकार से उठाने को कहा गया है।

मामले को  लेकर याचिकाकर्ता ने दावा था कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ था। बताया गया कि वर्ष 1991 से चल रहे इस विवाद में 2 अप्रैल को सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज आशुतोष तिवारी ने दोनों पक्षों की सर्वेक्षण के मुद्दे पर बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

मामले को लेकर अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी के मुताबिक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। बताया गया कि केंद्र के पुरातत्व विभाग के 5 लोगों की टीम बनाकर पूरे परिसर का अध्यन करने निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि सर्वेक्षण का खर्च राज्य सरकार उठाएगी।

उनके मुताबिक 1669 में मंदिर को तोड़ा गया था और फिर विवादित ढांचा खड़ा कर दिया गया था। कहा जाता है कि बाकी सारे अवशेष वहां मौजूद हैं। इस ढांचे के नीचे शिवलिंग मौजूद है। वहीं कोर्ट से मांग की है कि पुरातात्विक विभाग उसका सर्वे करके खुदाई करे। कहा गया कि कोर्ट ने हमारे पक्ष को स्वीकार कर लिया है।

साथ ही आदेश दिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया अपने खर्चे पर सर्वे कर रिपोर्ट पेश करे। अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने साल 2019 में सिविल जज के अदालत में स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ की ओर से 'वाद मित्र' के रूप में एक आवेदन दिया था।

इसमे मांग की गई थी कि मस्जिद, ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है। यहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ, दर्शन और मरम्मत का अधिकार है। अदालत से ये मांग स्वयंभू ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास ने की थी। मांग की गई थी कि पुरातात्विक सर्वेक्षण कराकर मुद्दे को हल किया जाए।

वहीं याचिकाकर्ता का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण 2050 साल पहले महाराज विक्रमादित्य ने करवाया था। बाद में मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को नष्ट करा दिया था। वहीं इस मामले में वादी के तौर पर स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ और दूसरा पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड हैं।

बताते चलें कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से अधिवक्ता मुमताज अहमद, रईस अहमद सेंट्रल वक्फ बोर्ड यूपी तौफीक खान और अभय यादव ने कोर्ट में बहस की थी।
 


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