मध्यप्रदेश: 11 घंटे तक मौत से लड़कर जिंदगी की जंग जीत गई दिव्यांशी

टीम भारत दीप |

दिव्यांशी ने 11 घंटे तक जिंदगी और मौत से लड़कर मौत को मात दी।
दिव्यांशी ने 11 घंटे तक जिंदगी और मौत से लड़कर मौत को मात दी।

छतरपुर जिले के नया गांव क्षेत्र के दोनी गांव में डेढ़ साल की बालिका खेलते -खेलते बोरवेल में गिर गई, हालांकि बोरवेल सूख हुआ था। जैसे ही बच्ची के बोरवेल में गिरने का पता घर वालों को चला, वैसे ही उन्होंने पहले अपने स्तर से ​निकालने का प्रयास किया, लेकिन जब वे सफल नहीं हुए। उन्होंने पुलिस व प्रशासन को इस बात की सूचना दी।

छतरपुर- एमपी। दिव्यांशी न जाने क्या सोच-समझकर उसका नाम उसके माता-पिता ने रखा था। पैदा होने के बाद से ही अपने मां-बाप के लिए जान से प्यारी दिव्यांशी दिन -प्रतिदिन उनकी आंखों का तारा बनती जा रही थी, लेकिन दिव्यांशी के माता-पिता की खुशियों को ग्रहण गुरुवार को लोग गया।

जब खेलते हुए मासूम दिव्यांशी खेत में कराए गए एक बोर में गिर गई। जैसे ही इसकी भनक उसके घर वालों को लगी कि दिव्यांशी एक सूखे बोर में गिरी हुई है। बच्ची की रोने की आवाज सुनकर घर वालों में हड़कंप मच गया।

घर वालों ने इसकी सूचना पहले पुलिस वालों को दी, इसके बाद जिला प्रशासन और बचाव दल एक—एक करके दिव्यांशी को बचाने के लिए पहुंचने लगा, 11 घंटे की मशक्त के बाद जब रात डेढ़ बजे दिव्यांशी को बोर से सकुशल बाहर निकाला गया तो हर कोई उसके दिव्य होने का एहसास कर र​हा था।

लोग बस यही कह रहे थे दिव्यांशी वास्त्व में दिव्य है। उसने 11 घंटे तक जिंदगी और मौत से लड़कर मौत को मात दी। दिव्यांशी को सकुशल पाकर उसके घर वालों के साथ ही पूरा प्रशासन खुशियों से चहक उठा। 

दोपहर दो बजे बोरवेल में ​गिरी मासूम

आपकों बता दें कि छतरपुर जिले के नया गांव क्षेत्र के दोनी गांव में डेढ़ साल की बालिका खेलते -खेलते बोरवेल में गिर गई, हालांकि बोरवेल सूख हुआ था। जैसे ही बच्ची के बोरवेल में गिरने का पता घर वालों को चला, वैसे ही उन्होंने पहले अपने स्तर से ​निकालने का प्रयास किया, लेकिन जब वे सफल नहीं हुए।

उन्होंने पुलिस व प्रशासन को इस बात की सूचना दी। बच्ची के बोरवेल में गिरने की सूचना मिलते ही पुलिस व प्रशासन के अफसर टीम के साथ मौके पर पहुंचे,राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। बोरवेल में गिरी बच्‍ची 15 फीट पर फंसी हुई थी। इसके बाद प्रशासन ने बोरवेल के पास गड्ढा खुदवाने शुरू कर दिया।

इस दौरान सीसीटीवी कैमरे की मदद से दिव्यांशी के देखते रहे उसे आक्सीजन उपल्बध कराते रहे, बच्ची पूरे समय हाथ-पैर हिलाती रही, इससे उसके सकुशल होने का पता चलता रहा है।

और प्रशासन ने बड़ी ही सावधानी पूर्वक सुरंग खोदकर दिव्यांशी को सकुशल रात एक बजे के आसपास बाहर निकाल लिया। मालूम हो कि दिव्यांशी को सुरक्षित निकालने के लिए जिला प्रशासन द्वारा स्टेट डिजास्टर इमरजेंसी रेस्पॉन्स फोर्स के दल को ग्वालियर से बुलाया था।

बच्ची करूण रूद्रन ने दिया बल

बचाव कार्य में जुटे सदस्यों ने बताया कि उन्हें बच्ची के रोने की आवाज महसूस हो रही थी, इससे वे सभी दोगुने उत्साह और सावधानी पूर्वक सुरंग खोदने में जुटे हुए थे, इसी का नतीजा सामने आया कि 11 घंटे की अथक मेहनत के बाद ​जब दिव्यांशी को  बोर से बाहर निकाला गया,

तब वहां मौजूद लोगों की आंखों में खुशी के आंसू थे। आपकों बता दें कि बोरवेल में गिरने वाले अधिकांश बच्चे जिंदगी की जंग हार जाते है। रेस्क्यू के इतिहास की बात करे तो हरियाणा के प्रिंस के बाद ही शायद एकाएक बच्चे को रेस्क्यू करके सुरक्षित निकाला गया हो, अब छतरपुर की दिव्यांशी ने को बचाव दल ने सुरक्षित निकालकर अपनी काबिलियत को साबित किया है। 


सामान्तर खोदा गया गड्ढा

 बच्ची को बचाने के लिए अब राहत दल बोरवेल के पास ही सामान्तर गड्ढा खुदवाया हैं। जिससे बच्ची को निकाला गया। घटना की सूचना मिलते ही एसपी व कलेक्टर भी पहुंचे और पूरे समय तक बचाव कार्य में जुटे रहे है।  बच्ची के बोरवेल में गिरने की जानकारी होने पर बड़ी संख्या में आस-पास के गांवों के लोगों घटनास्थल पर पहुंच गए।

अधिकांश लोग देर रात तक बच्ची की सलामती की दुआ करते हुए घटनास्थल पर ही जमे रहे जब दिव्यांशी को सुरक्षित निकालकर अस्पताल पहुंचाया गया तो लोगों ने भगवान का जयकारा लगाते हुए बचाव दल में लगे जवानों और सुरक्षा बलों को धन्यवाद देकर घर गए । 

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