मिशन 2022: सीटों के बंटवारे में उलझा सपा-रालोद गठबंधन, इन सीटों को लेकर चल रहा विवाद

टीम भारत दीप |

प्रसपा अध्यक्ष चाचा शिवपाल सिंह यादव नाराज दिखाई दे रहे है।
प्रसपा अध्यक्ष चाचा शिवपाल सिंह यादव नाराज दिखाई दे रहे है।

सपा और रालोद के बीच गठबंधन का एलान जिन सीटों को लेकर उलझ रहा है उनमें बिजनौर की चांदपुर, सहारनपुर की गंगोह, बागपत की बड़ौत, मथुरा की मांट व छाता, शामली की थानाभवन, बुलंदशहर की शिकारपुर के अलावा मुजफ्फरनगर की चरथावल सीट है।

मेरठ। यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर जहां बसपा और कांग्रेस तेजी से आगे बढ़ रही हैं, वहीं सपा अभी तक गठबंधन की स्थिति को साफ नहीं कर पा रहा है, क्योंकि सीटों को लेकर तालमेल बैठाना इतना आसान नहीं है।

इसी वजह से सपा, रालोद और प्रसपा के गठबंधन का अभी तक कोई ऐलान नहीं हो सका, उम्मीद थी कि नेताजी मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर गठबंधन का एलान हो सकता है, लेकिन नहीं हो सका।

अखिलेश यादव के फैसले नहीं लेने की वजह से एक तरह जहां रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी उहापोह की स्थिति में है, वहीं दूसरी तरफ प्रसपा अध्यक्ष चाचा शिवपाल सिंह यादव नाराज दिखाई दे रहे है। चाचा ने तो बयान देते हुए आखिरी मौका एक सप्ताह का दे डाला।  

इन सीटों की वजह से उलझा गठबंधन

सपा और रालोद के बीच गठबंधन का एलान जिन सीटों को लेकर उलझ रहा है उनमें बिजनौर की चांदपुर, सहारनपुर की गंगोह, बागपत की बड़ौत, मथुरा की मांट व छाता, शामली की थानाभवन, बुलंदशहर की शिकारपुर के अलावा मुजफ्फरनगर की चरथावल सीट है।

इन सीटों पर सहमति नहीं बन पाने के कारण दोनों दलों के बीच बात लंबी खिंच रही है।इसी वजह से सोमवार को पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर दोनों दलों के बीच आधिकारिक गठबंधन की घोषणा भी खटाई में पड़ गई है।

आपकों बता दें कि बुढ़ाना के कश्यप महासम्मेलन में सपा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद गठबंधन के संकेत दे चुके हैं। रालोद और सपा के बीच सीटों की संख्या पर लगभग सहमति बन चुकी है,

लेकिन इनमें पश्चिमी यूपी की करीब छह सीटें ऐसी हैं, जिन पर दोनों दल अपना-अपना दावा कर रहे हैं। इनमें जिले की चरथावल सीट भी है। चर्चा है कि सपा का तर्क है कि रालोद को मनपसंद बुढ़ाना सीट दी जा रही है, तो फिर चरथावल पर सपा का उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरेगा।

बड़ौत सीट पर सपा का दावा

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बागपत की बड़ौत सीट पर सपा का दावा है। चर्चा यह भी है कि यहां प्रत्याशी सपा का और सिंबल रालोद को लड़ाए जाने पर सहमति बन सकती है। मथुरा की मांट सीट पर भी दोनों दलों के अपने-अपने दावे हैं।

बुलंदशहर की शिकारपुर सीट पर दोनों दलों के दावे हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि दोनों दलों में बड़ी संख्या में उम्मीदवारी ठोक रहे है। शीर्ष नेतृत्व के सामने अपना-अपना गणित  पेश कर रहे हैं। दूसरे दल छोड़कर आए नेता अपने-अपने लिए टिकट की चाह रख रहे हैं। यही वजह है कि दोनों दलों के नेतृत्व के सामने भी मुश्किलें खड़ी हो रही है।

वहीं रालोद ने पूर्वांचल में लखीमपुर खीरी की पलिया, बस्ती सदर और रालोद किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामाशीष राय के लिए भी एक सीट मांगी है। जिस पर दोनों दलों के बीच बातचीत चल रही है। पूर्वांचल में रालोद को कम से कम पांच सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है।

प्रत्याशी और सिंबल का भी गठबंधन

रालोद और सपा के बीच इस बार प्रत्याशी और सिंबल भी अदल-बदल कर चुनाव लड़ने की संभावना है। जिन सीटों पर सहमति नहीं बन रही है, वहां पर प्रत्याशी दूसरी पार्टी और सिंबल दूसरी पार्टी का हो सकता है। ऐसा करने से दोनों दल अपने-अपने उम्मीदवारों को संतुष्ट करना चाहते हैं।

गठबंधन की बातचीत में सपा नेताओं ने मुजफ्फरनगर की खतौली और मेरठ की मेरठ कैंट सीट रालोद को ऑफर की थी, लेकिन दोनों ही सीटें रालोद नेताओं ने लेने से इनकार कर दिया। खतौली के बजाए चरथावल और मेरठ कैंट के बदले सिवालखास सीट पर अपना दावे को मजबूत किया गया है।

इसे भी पढ़ें...


संबंधित खबरें