चाचा शिवपाल यादव को होने लगा सपा से गठबंधन में ठगे जाने का एहसास, जानिए क्या कहा

टीम भारत दीप |

वे अपने बेटे को भी चुनाव लड़ाना चाहते थे लेकिन उसे भी टिकट नहीं मिला।
वे अपने बेटे को भी चुनाव लड़ाना चाहते थे लेकिन उसे भी टिकट नहीं मिला।

शिवपाल यादव ने कहा, ''अखिलेश से शुरू में 65 सीटें मांगीं, तो कहा गया कि ज्यादा हैं। फिर हमने 45 सीटें मांगी, मगर तब भी कहा गया कि ज्यादा है। उन्होंने कहा कि आखिर में 35 सीटों का प्रस्ताव दिया। मगर, आपको तो पता ही है मिली कितनी सिर्फ एक। अब सारी सीटों की कसर इसी सीट पर जीत का रिकॉर्ड बनाकर पूरी करनी है।

लखनऊ। पांच साल पहले सपा से अलग राह अपनाने वाले शिवपाल यादव को इस बार चुनाव में उनकी पार्टी को सपा से गठबंधन के बाद महज एक सीट मिलने पर उनके समर्थकों में काफी निराशा है। इसे लेकर उनका दर्द विभिन्न मौकों पर छलकता रहता है।

इस बीच प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव ने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि जसवंतनगर सीट से उन्हें रिकॉर्ड वोट से जितावाएं। शिवपाल यादव ने यह भी कहा है कि उनका कंपटीशन अखिलेश यादव से है। इस बात की प्रतिस्पर्धा है कि करहल से ज्यादा बड़ी जीत मिलती है या जसवंतनगर से। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शिवपाल यादव ने कहा, ''यूपी की जनता ने गठबंधन की सरकार बनाने, अखिलेश के नेतृत्व में गठबंधन को जितवाने का फैसला किया है। अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाना है।'' जसवंतनगर से रिकॉर्ड जीत की अपील को लेकर उन्होंने कहा, ''जसवंत नगर से तो मिलती रही है। करहल से भी बड़ी जीत होनी है, कंपटीशन है जसवंत नगर और करहल  में कौन आगे जाएगा।

वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल

आपकों बता दें कि शिवपाल यादव का कार्यकर्ताओं से बातचीत का वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वह सिर्फ एक सीट मिलने को लेकर अपना दर्द बयां कर रहे हैं। जसवंतनगर में एक होटल में कार्यकर्ताओं की बैठक में उन्होंने मन की बात बताई

यहां तक कहा कि पार्टी कुर्बना करके उन्हें क्या मिला? उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप तो देख ही रहे हैं कि मैंने पार्टी का बलिदान कर दिया। नहीं तो प्रसपा अपने दम पर पूरे प्रदेश में चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुकी थी। 100 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा भी हो गई थी। मगर, भाजपा को हराने के लिए गठबंधन स्वीकार किया।

65 के बदले मिली सिर्फ एक सीट

शिवपाल यादव ने कहा, ''अखिलेश से शुरू में 65 सीटें मांगीं, तो कहा गया कि ज्यादा हैं। फिर हमने 45 सीटें मांगी, मगर तब भी कहा गया कि ज्यादा है। उन्होंने कहा कि आखिर में 35 सीटों का प्रस्ताव दिया। मगर, आपको तो पता ही है मिली कितनी सिर्फ एक।

अब सारी सीटों की कसर इसी सीट पर जीत का रिकॉर्ड बनाकर पूरी करनी है। अपनी बात रखते हुए शिवपाल ने यह भी कहा कि कम से कम 50 सीट तो मिलनी ही चाहिए थी। दरअसल, प्रसपा ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर तो लिया, लेकिन अंदरखाने बताया जा रहा है कि वे इससे संतुष्ट नहीं हैं। वे अपने बेटे को भी चुनाव लड़ाना चाहते थे लेकिन उसे भी टिकट नहीं मिला।

इसे भी पढ़ें...


संबंधित खबरें