हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम से मिलेगा अब खेल रत्न पुरस्कार

टीम भारत दीप |

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त सन्‌ 1905 ई. को इलाहाबाद मे हुआ था
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त सन्‌ 1905 ई. को इलाहाबाद मे हुआ था

आपकों बता दें कि खेल रत्न अवॉर्ड देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान है। पहली बार यह पुरस्कार 1991-92 में दिया गया था। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल क्षेत्र में शानदार और सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। पीएम मोदी ने कहा कि मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से थे, जिन्होंने भारत को दुनियाभर में सम्मान और गौरव दिलाया।

नई दिल्ली। देश के खिलाड़ियों को दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार अब हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद्र के नाम पर दिया जाएगा। यह पुरस्कार अभी तक पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम दिया जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी।

पीएम ने बताया कि मुझे पूरे भारत के नागरिकों से खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने के लिए कई अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं। उनकी भावना का सम्मान करते हुए, खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा।

देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान

आपकों बता दें कि खेल रत्न अवॉर्ड देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान है। पहली बार यह पुरस्कार 1991-92 में दिया गया था। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल क्षेत्र में शानदार और सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। पीएम मोदी ने कहा कि मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से थे, जिन्होंने भारत को दुनियाभर में सम्मान और गौरव दिलाया। यह बिल्कुल ठीक है कि हमारे देश के सर्वोच्च खेल सम्मान का नाम उन्हीं के नाम पर रखा जाए।

ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रयासों से हम सभी अभिभूत हैं। विशेषकर हॉकी में हमारे बेटे-बेटियों ने जो इच्छाशक्ति दिखाई है, जीत के प्रति जो ललक दिखाई है, वो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।

देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है।

सरकार का यह फैसला टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के कांस्य पद जीतने के बाद एक दिन बाद लिया गया। बता दें कि भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक में पदक जीता है। इससे पहले भारत ने आखिरी बार ओलंपिक हॉकी में 1980 में पदक जीता था।

प्रयागराज में हुआ था ध्यानचंद का जन्म

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त सन्‌ 1905 ई. को इलाहाबाद मे हुआ था। शुरूआत से ही उनके मन में खेल के प्रति लगाव था। उन्होंने सतत अभ्यास से हॉकी में असाधारण प्रतिभाग अर्जित की, इसी प्रतिभा के बल पर उन्होंने पूरे विश्व में अपना तथा देश नाम गौरवांवित किया।

16 वर्ष की अवस्था में 1922 ई. में दिल्ली में प्रथम ब्राह्मण रेजीमेंट में सेना में एक साधारण सिपाही की हैसियत से भरती हो गए। ध्यान चंद भारतीय फील्ड हॉकी के भूतपूर्व खिलाड़ी एवं कप्तान थे। भारत एवं विश्व हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाडड़ियों में उनकी गिनती होती है।

 ध्यानचंद ने अपने खेल जीवन में 1000 से अधिक गोल दागे। जब वो मैदान में खेलने को उतरते थे तो गेंद मानों उनकी हॉकी स्टिक से चिपक सी जाती थी। उन्हें १९५६ में भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा बहुत से संगठन और प्रसिद्ध लोग समय-समय पर उन्हे 'भारतरत्न' से सम्मानित करने की मांग की जा रही है।

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