भारत बंद की तैयारी में राजनीतिक दल, हर चुनौती से निपटने को प्रशासन तैयार

टीम भारत दीप |
अपडेट हुआ है:

देश के 12 से ज्यादा सियासी दलों ने किसानों का समर्थन किया है ।
देश के 12 से ज्यादा सियासी दलों ने किसानों का समर्थन किया है ।

लखनऊ में सोमवार सुबह सपा कार्यालय से लेकर अखिलेश यादव के घर तक पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया। वहीं, कन्नौज में जिलाधिकारी ने अखिलेश यादव के किसान मार्च को मंजूरी नहीं दी।

लखनऊ। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की मांग को दिल्ली में किसानों का आंदोलन पिछले 11​ दिनों से चल रहा है।

अब किसानों ने 8 दिसबंर यानी मंगलवार को भारत बंद करने का एलान किया है। वहीं किसानों के इस एलान को राजनीतिक दलों के कर्ताधर्ता समर्थन देने में जुट गए है। पहले कांग्रेस, फिर सपा-बसपा समेत तमाम दल मंगलवार को किसानों का साथ देने के लिए प्रदर्शन करेंगे।

इस मामले में सपा ने किसानों का साथ देने के लिए प्रदेश भर में साइ​किल रैली निकालने का एलान किया। लखनऊ में सोमवार सुबह सपा कार्यालय से लेकर अखिलेश यादव के घर तक पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया।

कन्नौज में जिलाधिकारी ने अखिलेश यादव के किसान मार्च को मंजूरी नहीं दी।लखनऊ में विक्रमादित्य मार्ग पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और किसी भी प्रदर्शन से निपटने की पूरी तैयारी की गई। पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट पर है।

दरअसल, किसान आंदोलन की आग पूरे देश में फैल चुकी है। देश के 12 से ज्यादा सियासी दलों ने किसानों का समर्थन किया है जो कि दिल्ली में केंद्र द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं।

मालूम हो कि किसानों के साथ सरकार की कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है जिस पर किसानों ने आठ दिसंबर से भारत बंद का एलान किया है।सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज में किसान मार्च करने वाले हैं लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी।

जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने कहा कि अभी कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ है लिहाजा भीड़ जुटाने की अनुमति किसी भी स्थिति में नहीं दी जा सकती। सपा मुखिया को पत्र भेजकर इस पर अवगत करा दिया गया है। प्रशासन का कहना है कि अगर फिर भी भीड़ जुटती है तो कार्रवाई की जाएगी।

केंद्र सरकार किसी भी हाल में नए कानूनों को वापस लेने के मूड में नहीं है, वहीं किसान संशोधन की जगह पूर्ण रूप से कानूनों को खत्म करने की मांग पर डटे है। किसानों को मिल रहे समर्थन से यह आंदोलन लंबा चलने की उम्मीद की जा रही है। 


संबंधित खबरें