12 वर्ष बाद टूटी पूर्वांचल यूनिवर्सिटी की नींद, छात्रा को इस मामले में जारी किया नोटिस

टीम भारत दीप |
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सांकेतिक तस्वीर
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दरअसल, करीब 12 वर्ष के बाद विवि को याद आया या यूं कहें कि उसकी नींद टूटी की छात्रा से बकाया फीस वसूल करनी है। अब छात्रा को नोटिस जारी कर फीस वसूली की बात कही गई है।

जौनपुर। पूर्वांचल विश्वविद्यालय प्रशासन यूं ही नहीं लचर प्रशासन के लिए विख्यात है। यहां अक्सर कुछ ऐसा देखने को मिलता है जो उसकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठा जाता है। ताजा मामला एक छात्रा की बकाया फीस को लेकर सामने आया है। दरअसल, करीब 12 वर्ष के बाद विवि को याद आया या यूं कहें कि उसकी नींद टूटी की छात्रा से बकाया फीस वसूल करनी है। अब छात्रा को नोटिस जारी कर फीस वसूली की बात कही गई है।

बता दें कि वर्ष 2004 में प्रीति सिंह नाम की छात्रा ने विवि परिसर में संचालित हो रहे उमानाथ सिंह इंजीनियरिंग एवं तकनीकि संस्थान में प्रवेश लिया। छात्रा ने पाठ्यक्रम की पढ़ाई के दौरान करीब 90 हजार रुपये बतौर फीस जमा भी किया। हालांकि 55 हजार रुपये फीस उस पर बकाया थी। इस दौरान प्रीति सिंह ने अपना कोर्स वर्ष 2008 में पूरा किया और मार्कशीट, डिग्री आदि लेकर वह चली गई। इस दौरान विवि प्रशासन को याद नहीं आया कि छात्रा से बकाया फीस लेनी है।

ताज्जुब इसी बात पर हो रहा है कि यह बात याद आने में विवि को करीब 12 वर्ष लग गए। इसके बाद विवि ने छात्रा को नोटिस जारी करके बकाया फीस वसूली जमा करने का निर्देश दिया है। विवि ने अब न सिर्फ 55 हजार रुपये फीस मांगी है बल्कि लेट फीस जमा करने के ब्याज के तौर पर 70 हजार रुपये और जमा करने की बात कही है। ऐसे में 1.25 लाख रुपये छात्रा को जमा करना होगा। अब ऐसे में सवाल उठता है कि जब इतने वर्षों तक छात्रा से विवि ने फीस नहीं ली तो फिर लेट फीस क्यों ले रहा है। 

विवि प्रशासन की भूमिका संदेह के घेरे में
इस मामले में विवि प्रशासन की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। सोचने वाली बात यह है कि जब फीस बाकी थी तो छात्रा को मार्कशीट और डिग्री आखिर क्यों दे दी गई। जहां तक विवि की बात है तो बिना फीस जमा किए छात्रों को मार्कशीट व डिग्री आदि नहीं दी जाती है, इतना ही नहीं चरित्र प्रमाणपत्र आदि भी रोक दिया जाता है। कहीं ऐसा तो नहीं इसमें भी कोई खेल कर दिया गया। 


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