तो क्या खाकी पहनने से युवाओं का हो रहा मोहभंग ! खाकी छोड़ 33 युवा बने मास्टर साहब

टीम भारतदीप |

मेरठ में ज्वाइनिंग से पहले ही 33 लोगों ने पुलिस की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया
मेरठ में ज्वाइनिंग से पहले ही 33 लोगों ने पुलिस की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया

मेरठ में ज्वाइनिंग से पहले ही 33 लोगों ने पुलिस की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया है। इनमें से अधिकतर ने प्राइमरी स्कूल में शिक्षक पद पर नियुक्ति पाई है। यही तस्वीर प्रदेश के अधिकांश जनपदों में सामने आई है।

मेरठ। न काम का तय समय और न ही तयशुदा अवकाश। साथ ही घर से सैकडों मील दूर रहना। कभी गृह जनपद में तैनाती नहीं जैसी तमाम वजहों को लेकर शायद अब युवाओं का यूपी पुलिस की नौकरी से मोह भंग होने लगा है।

और अब शायद खाकी वर्दी पहनने का सपना संजोए तमाम नौजवानों को मास्टर साहब बनना ज्यादा मुफीद लग रहा है। हो सकता है इसी कारण मेरठ में ज्वाइनिंग से पहले ही 33 लोगों ने पुलिस की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया है।

इनमें से अधिकतर ने प्राइमरी स्कूल में शिक्षक पद पर नियुक्ति पाई है। यही तस्वीर प्रदेश के अधिकांश जनपदों में सामने आई है। बता दें कि मेरठ पुलिस लाइन में छह अक्तूबर से यूपी पुलिस आरक्षी प्रशिक्षुओं की जूनियर ट्रेनिंग शुरू हुई। 268 जवानों को कॉल लेटर भेजा गया था।

237 ही ट्रेनिंग में शामिल हुए। 31 लोग ट्रेनिंग में नहीं आए। पुलिस लाइन से फोन करके इनसे नहीं आने का कारण पूछा गया तो पता चला कि ज्यादातर का नाम प्राथमिक स्कूलों की 69 हजार शिक्षक भर्ती में आ गया है। इसके अलावा दो युवकों की तैनाती दूसरे विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद पर हुई है।

वहीं गोरखपुर-बस्ती मंडल के 53 सिपाहियों ने शिक्षक बनने के लिए खाकी वर्दी त्याग दी। वहीं कुशीनगर में 22 पुलिसकर्मियों ने त्यागपत्र देकर शिक्षक की नौकरी पा ली। उधर राजस्थान के जयपुर में भी 43 पुलिसकर्मियों ने रिजाइन दिया और शिक्षक बन गए।

सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, गाजियाबाद, नोएडा समेत ज्यादातर जनपदों में हाल ही में ऐसे कुछ पुलिसकर्मियों ने इस्तीफा दिया है जो पिछले दिनों ही ट्रेनिंग पर आए थे। बताया जाता है कि शिक्षकों का वेतन पे-बैंड जहां 4200 रुपये है, वहीं पुलिस का वेतन पे-बैंड 2000 रुपये है।

शिक्षक की एक साल में संडे, सार्वजनिक अवकाश और कैजुअल लीव मिलाकर करीब 100 छुट्टियां होती हैं। वहीं पुलिसकर्मियों को सालभर में 60 छुट्टियां स्वीकृत हैं, मगर उन्हें बमुष्किल 20 छुट्टी ही मिल पाती हैं। वहीं शिक्षकों को पहला प्रमोशन औसत दस साल में मिल जाता है।

जबकि पुलिसकर्मियों को पहला प्रमोशन मिलने में पन्द्रह साल तक लग जाते हैं। शिक्षकों की ड्यूटी सात घंटे होती है, लेकिन पुलिस की ड्यूटी 12 से 15 घंटे औसतन मानी जाती है। वहीं शिक्षको को घर के समीप वाले स्कूल में भी पढ़ाने का अवसर मिल जाता हैं।

लेकिन पुलिसकर्मी गृहजनपद और सीमा वाले जनपद में नौकरी नहीं कर सकते। इस मामले में मेरठ एसएसपी अजय साहनी के मुताबिक यूपी पुलिस में अब उच्च शिक्षित युवा आ रहे हैं। वह पुलिस के अतिरिक्त दूसरी भर्तियों में भी हाथ आजमाते हैं।

कई बार एक अभ्यर्थी कई जगह क्वालीफाई कर जाता है। ऐसे में वह विकल्प के रूप में उस नौकरी को ज्यादा तवज्जों देते है जो उन्हें आसान लगती है। इसके बावजूद भी खाकी पहनने के लिए युवाओं में जबरदस्त उत्साह है।


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