बाबा बनने की कहकर निकला युवक पहुंचा पाकिस्तान, 13 साल सजा काटकर लौटा स्वदेश, अभी रहेगा अमृतसर में

टीम भारत दीप |

13 साल बाद एकदूसरे को सामने देखकर सोनू और उसका पिता दोनों ही बेहद भावुक हो गए।
13 साल बाद एकदूसरे को सामने देखकर सोनू और उसका पिता दोनों ही बेहद भावुक हो गए।

13 साल बाद अपनों को ​देखकर फूट—फूटकर रोने वाला ललीतपुर का लाल स्वदेश तो लौट आया। लेकिन अभी कुछ दिन और अमृतसर के कुम्युनिटी सेंटर में रहेगा। मालूम हो कि मानसिक संतुलन खराब होने से वह बाबा बने घर से कहकर निकला था। न जाने कैसे पाकिस्तान पहुंच गया।

ललितपुर। 13 साल बाद अपनों को ​देखकर फूट-फूटकर रोने वाला ललीतपुर का लाल स्वदेश तो लौट आया। लेकिन अभी कुछ दिन और अमृतसर के कुम्युनिटी सेंटर में रहेगा।

मालूम हो कि मानसिक संतुलन खराब होने से वह बाबा बने घर से कहकर निकला था। न जाने कैसे पाकिस्तान पहुंच गया। पाकिस्तान की जेलों में 13 साल बिताने के बाद वह स्वदेश लौटा। 

जानकारी के अनुसार ललितपुर के संतवासा गांव का सोनू सिंह उर्फ सोहन सिंह (35 वर्ष) वापस अपने देश में लौटा आया है। हालांकि, अभी वो अमृतसर के कम्यूनिटी सेंटर में है और ललितपुर लाने की कागजी कार्यवाही लगातार जारी है।

सोनू के वापस भारत लौटने की सूचना पर उसके पिता और चाचा उससे मिलने अमृतसर पहुंचे थे, उन्हें देख वह रो पड़ा।संतवासा निवासी रोशन सिंह लोधी के चार बेटे हैं, जिनमें सोनू सबसे छोटा है। सोनू सिंह छठवीं क्लास तक गांव में ही पढ़ा था। इसके बाद वह अन्य परिजनों के साथ खेती करने लगा।

लगभग 18-19 साल की उम्र में वह बाबा बनने की कहकर घर से कहीं निकल गया और उसका दिमागी संतुलन भी ठीक नहीं था। पूरा परिवार उसकी तलाश में भटकता रहा। लेकिन, उसका पता नहीं चला। अब 13 साल बाद परिजनों को पता चला कि सोनू पाकिस्तान की जेल में बंद है।

26 अक्तूबर को इंटेलीजेंस ब्यूरो ने थानाध्यक्ष मड़ावरा को सोनू के पाकिस्तान से रिहा होकर अमृतसर में पहुंचने की जानकारी दी। अमृतसर पहुंचने पर सोनू को नारायणगढ़ के कम्यूनिटी सेंटर में क्वारंटाइन किया गया है। यह जानकारी होने पर परिजनों के खुशी का ठीकाना नहीं रहा ।

पिता और चाचा उदय सिंह अमृतसर पहुंच गए। 13 साल बाद एकदूसरे को सामने देखकर सोनू और उसका पिता दोनों ही बेहद भावुक हो गए। कई जेलों में रहा सोनू: पाकिस्तान में तेरह साल तक सोनू को कई जेलों में रखा गया।

वो भारत वापस लौटने की उम्मीद छोड़ चुका था। लेकिन, सजा पूरी होने के बाद उसे रिहा कर वापस भेज दिया गया था। सोनू मानसिक रूप से खासा कमजोर हो चुका है। वह ये नहीं बता पाया कि उसने पाकिस्तान की किन जेलों में सजा काटी।

सोनू सिंह के पिता व चाचा उसे ललितपुर वापस लाने के लिए अमृतसर पहुंच गए हैं। लेकिन, जरूरी दस्तावेज साथ न होने की वजह से अभी सोनू को उनकी सुपुर्दगी में नहीं दिया गया है।

पिता सोनू की पहचान के लिए वोटर और राशन कार्ड लेकर गए थे। राशन कार्ड में सोनू सिंह का नाम छठवें स्थान पर दर्ज है। रोशन सिंह ने गांव के सरपंच का पत्र भी नारायणगढ़ पुनर्वास केंद्र के अधिकारियों को सौंपा, जिसमें इस बात की तस्दीक थी कि सोनू संतवासा गांव का निवासी है।

जब केंद्र के अधिकारियों ने स्थानीय पुलिस थाना प्रभारी, एसडीएम और जिला प्रशासन की तरफ से सोनू की पहचान के बारे में पत्र मांगे तो उनके पास ऐसा कोई प्रमाण पत्र नहीं था। पुनर्वास केंद्र के अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान से रिहा होकर आने वाले भारतीयों के लिए जिला प्रशासन का पत्र जरूरी है। 


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