इस दिवाली जलाएं गोबर से बने दीपक, घर में लाएं गोबर से बने लक्ष्मी गणेश

टीम भारत दीप |
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इस राख को खेत या फूलों के गमले में खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते है।
इस राख को खेत या फूलों के गमले में खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते है।

अब तो मिट्टी के दीपक की जगह गोबर के दीपक जलाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार गोबर से बने दीपक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे यह जलने के बाद राख में तब्दील हो जाएंगे।

मुरादाबाद। दीपावली के त्योहार पर हर साल प्रदूषण पर बहस शुरू हो जाती है। कोई चायनीज झालर की जगह मिट्टी के दीपक जलाने की वकालत करता है।

अब तो मिट्टी के दीपक की जगह गोबर के दीपक जलाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार गोबर से बने दीपक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे यह जलने के बाद राख में तब्दील हो जाएंगे।

इस राख को खेत या फूलों के गमले में खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते है। इस दिशा में प्रदेश के कई जिलों में बेहतर तैयारी की जा रही है। बाजार में बिकने के लिए गोबर के दीपक और लक्ष्मी गणेश की प्रतिमाएं भी तैयार है, जिसे उत्सव के बाद आसानी से विसर्जित किया जा सकेगा।

इस दिशा में मुरादाबाद वासियों ने अच्छी पहल की है। यहां अधिकांश लोग कह रहे है कि वे इस  दिवाली इको फ्रेंडली गाय के गोबर के दीये वातावरण शुद्ध करेंगे और उजियारा भी फैलाएंगे।

मुरादाबाद ही नहीं प्रदेश के नोएडा, आगरा, बरेली समेत कई जिलों से इन दीयों की मांग आ रही है। मनोहरपुर के एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस सेंटर में ये तैयार किए जा रहे हैं।

इन दीयों की खासियत है कि जब इनको दीपावली पर जलाया जाएगा तो पहले बत्ती और तेल जलेगा इसके बाद गोबर का दीपक भी जल जाएगा। इससे वातावरण भी शुद्ध होगा। 

मुरादाबाद के मनोहरपुर गांव स्थिति एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस सेंटर में डॉ. दीपक मेंहदीरत्ता ने मशीन से इन दीयों को तैयार करवाया है। उन्होंने बताया कि इन पर्यावरण मित्र दीपकों की मांग मुरादाबाद ही नहीं कई जिलों से आ रही है वह आर्डर पूरे नहीं कर पा रहे हैं।

तकरीबन बीस हजार दीपक अभी तक बिक चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के दीपक से वातावरण शुद्ध होगा। यह अभिनव प्रयोग काफी कारगर है। मुरादाबाद प्रदूषित शहरों के टॉप शहरों में है।

ऐसे में लोग विशेष मौकों पर परंपरागत तरीकों में कुछ बदलाव करके पर्यावरण संरक्षण में योगदान कर सकते है। ढाई रुपए का एक दीपक, मशीन से एक बार में दस होते हैं तैयार, एक दीपक ढाई रुपए में बिक रहा है। एक बार में मशीन से एक मिनट में दस दीपक तैयार होते हैं।

इस तरह लगातार दीपक बनाने का सिलसिला चल रहा है। लगातार इनका निर्माण किया जा रहा है। जिससे ज्यादा से ज्यादा आपूर्ति की जा सके। मुरादाबाद के पांच सौ लोगों ने आर्डर किया हुआ है जिसमें हर दिन बढोत्तरी हो रही है। 

ऐसे बनते है गोबर के दीपक: एक किलो गाय के गोबर में 100 ग्राम मुल्तानी मिट्टी मिलाई जाती है। 200 ग्राम ग्वार गोंद या मक्के का स्टार्च भी मिलाया जाता है।

इसके बाद मशीन में मैटीरियल डाल कर दीपक तैयार किया जाता है। इसके निर्माण में किसी तरह की हानिकारक सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। 

महिलाओं को दिया प्रशितक्षण: एग्रीक्लीनिक एग्री बिजनेस सेंटर से कन्नौज और रामपुर की महिलाओं को गाय के गोबर से दीपक बनाने की ट्रेनिंग भी दी गई है। कन्नौज में भी इस तरह के दीप बनाकर महिलाएं बेच रही हैं।

रामपुर में इस साल ट्रेनिंग लेने वाली महिलाओं ने दीपक नहीं बनाए हैं। वहीं गोरखपुर में भी गोबर से दीपक के साथ ही ​लक्ष्मी गणेश की प्रतिमाओं की बाजार में काफी मांग है।  


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