खुद को जिन्दा साबित करने में हार गया जीवन के 15 साल

टीम भारत दीप |

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले का संज्ञान लिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले का संज्ञान लिया।

वर्ष 1999 तक भोला का नाम खतौनी में दर्ज था। जिसे मृत दिखाकर अपना नाम दर्ज करा लिया गया था। बताया गया कि इसकी जानकारी भोला को 2005 में हुई तो वह खुद को जिंदा साबित करने में जुट गया। तमाम पेरशानियों का सामना करते हुए खुद को जिंदा साबित करने के लिए वह कानूनी लड़ाई लड़ता रहा।

मिर्जापुर। सच ही कहा गया है कि सत्य कभी पराजित नहीं होता है। इसी बात को चरित्रार्थ करता हुआ ताजा वाकया मिर्जापुर से सामने आया है। यहां एक शख्स जिसे लालच के कारण सरकारी बाबूओं ने सरकारी दस्तावेजों में मार दिया था उसने 15 साल की मशक्कत के बाद आखिरकार खुद को जिन्दा साबित कर ही लिया।

दरअसल देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में सरकारी रिकार्ड में खुद को जिंदा साबित करने के लिए मृतक भोला करीब 15 साल तक अधिकारियों के साथ ही न्यायालय का चक्कर काटता रहा। जब वह बहुत परेशान हो गया तो जिलाधिकारी कार्यालय पर धरने पर बैठ गया। गत माह धरना देने के बाद सूबे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले का संज्ञान लिया।

इसके बाद जांच में तेजी आई और अब भोला दोबारा जिंदा हो गया। आखिरकार खुद को जिंदा साबित करने की लड़ाई में भोला की ही जीत हुई। बताया गया कि सदर तहसील क्षेत्र के अमोई गांव की पुस्तैनी जमीन पर भोला के सगे भाई की नीयत खराब हो गई थी। उसने जमीन के लालच में लेखपाल के साथ मिलकर सरकारी कागजों पर जिंदा इंसान को मृत दर्ज कर लिया गया।

वर्ष 1999 तक भोला का नाम खतौनी में दर्ज था। जिसे मृत दिखाकर अपना नाम दर्ज करा लिया गया था। बताया गया कि इसकी जानकारी भोला को 2005 में हुई तो वह खुद को जिंदा साबित करने में जुट गया। तमाम पेरशानियों का सामना करते हुए खुद को जिंदा साबित करने के लिए वह कानूनी लड़ाई लड़ता रहा।

आखिर में भोला की जीत हुई और उनका नाम तहसीलदार के आदेश पर सरकारी दस्तावेजों में दर्ज किया गया।

तहसीलदार सुनील कुमार ने नाम दर्ज कराने के साथ ही उसे खतौनी भी दिया। बताया बताया गया कि उत्तर प्रदेश के मीरजापुर में सदर तहसील क्षेत्र के अमोई गांव के निवासी भोला ने 2005 में अपने भाई राज नारायण, लेखपाल और कानूनगो की मदद से जमीन के कागज (खतौनी) पर उन्हें मृतक दर्ज कराए जाने का आरोप लगाया था।

वहीं 2016 में इन तीनों लोगों को आरोपी बनाकर मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। साथ ही वह अधिकारियों की चौखट पर भी गुहार लगाता रहा और आखिरकार अब उसकी जीत हुई है। वह सरकारी दस्तावेजों में जिन्दा घोषित किया जा चुका है। इसके साथ ही झुठ एक बार फिर सत्य से पराजित हो गया।

 


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