मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह ​अखिलेश यादव ने भी अपने लिए सुरक्षित सीट चुना, जानिए करहल का गणित

टीम भारत दीप |

आजमगढ़ की जगह मैनपुरी को चुनकर कई तीर एक साथ चलाए है।
आजमगढ़ की जगह मैनपुरी को चुनकर कई तीर एक साथ चलाए है।

मैनपुरी के करहल विधानसभा क्षेत्र को समाजवादियों का गढ़ माना जाता है। 1957 में करहल को सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। 1974 में करहल सामान्य विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया। 1995 में करहल सीट से सपा ने पहली बार बाबूराम यादव को चुनाव लड़ाया था। वह लगातार तीन बार विधायक रहे हैं।

मैनपुरी। यूपी विधानसभा चुनाव के लिए अब चुनावी बिछात बिछ गई है।इस बार का चुनावी लड़ाई काफी रोचक होने वाली हैं, क्येंकि इस बार चुनाव में राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी मैदान में उतर रहे है।

सीएम योगी आदित्यनाथ अपने गढ़ गोरखपुर की सदर सीट से मैदान में उतर रहे है तो अखिलेश यादव भी अपने गढ़ मैनपुरी के करहल विधानसभा क्षेत्र चुनावी मैदान में उतरेंगे। पहले अखिलेश यादव के आजमगढ़ और योगी अयोध्या से चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन दोनों ने अपने लिए सुरक्षित सीट चुना है। 

समाजवादियों का गढ़ है करहल

मैनपुरी के करहल विधानसभा क्षेत्र को समाजवादियों का गढ़ माना जाता है। 1957 में करहल को सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। 1974 में करहल सामान्य विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया। 1995 में करहल सीट से सपा ने पहली बार बाबूराम यादव को चुनाव लड़ाया था।

वह लगातार तीन बार विधायक रहे हैं। 2002 में भाजपा के सोबरन सिंह यादव चुनाव जीते। 2007 से लेकर अब तक तीन बार सपा की टिकट पर सोबरन सिंह यादव ही चुनाव जीते हैं।

सैफई परिवार को मिला है साथ 

मैनपुरी ने केवल सैफई परिवार के बेटों को ही नहीं बेटी को भी राजनीति में पहचान दिलाई। इसी मैनपुरी से वर्ष 2015 में सपा के टिकट पर सैफई परिवार की पहली बेटी ने राजनीति में कदम रखा। पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव को मैनपुरी ने पहचान दिलाई है।

सपा के टिकट पर वे जिला पंचायत सदस्य चुनकर आईं और जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। बाद में पति अनुजेश यादव ने भाजपा का दामन थामा तो संध्या यादव भी भाजपाई हो गई ।2021 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया। 

मालूम हो कि मैनपुरी में कुल चार विधानसभा सीटें हैं, इसमें मैनपुरी, भोगांव, किशनी और करहल शामिल हैं। वर्तमान में भोगांव को छोड़कर तीन पर सपा काबिज हैं। वहीं भोगांव सीट बीते चुनाव में भाजपा के खाते में चली गई थी। इससे पहले ये सीट लगातार पांच बार सपा के खाते में रह चुकी है। ऐसे में ये सीटी भी वापस पाने के लिए सपा इस बार पुरजोर कोशिश करेगी।

सपा सदस्य ने स्वागत में खून से लिखा पत्र

मैनपुरी। भोगांव विधानसभा क्षेत्र के हविलिया मंगलपुर निवासी मोहित यादव डीपी ने बृहस्पतिवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को खून से लिखा पत्र भेजा। पत्र में कहा कि मैनपुरी की धरती पर हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है।

यदि मैनपुरी से चुनाव लड़ते हैं तो मैनपुरी की सम्मानित जनता उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी जीत दिलाएगी। मोहित ने बताया कि उसने वर्ष 2019 में आजमगढ़ जाकर अखिलेश यादव का प्रचार किया था। उसके प्रचार के तरीके की अखिलेश ने कार्यकर्ताओं के सामने सार्वजनिक रूप से प्रशंसा की थी।

करहल विधानसभा क्षेत्र में मतदाता

पुरुष मतदाता 201394
महिला मतदाता 169851
अन्य मतदाता 16
कुल मतदाता 371261

सियासी समीकरण के लिहाज से सुरक्षित है करहल

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद चुनाव लड़ने के लिए करहल सीट को चुनकर पश्चिमी और मध्य यूपी की सीटों पर पकड़ बनाए रखने की रणनीति अपनाई है। उनके लिए यह सीट सियासी समीकरण के लिहाज से काफी सुरक्षित भी है। यहां के गांवों से सैफई परिवार का गहरा नाता रहा है। 

वहीं इस समय सपा के सोबरन सिंह यादव विधायक हैं। उन्होंने 2017 के चुनाव में भाजपा के रमा शाक्य को करीब 38 हजार मतों से हराया था। यहां के करीब साढ़े तीन लाख से अधिक मतदाताओं में 40 फीसदी से ज्यादा यादव हैं। करीब आठ से 10 गांवों में मुस्लिमों की बहुलता है। शाक्य, लोधी, ब्राह्मण, ठाकुर और अनुसूचित जाति के मतदाता हैं।

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