बाहुबली मुख्तार अंसारी की एम्बुलेंस का यूपी कनेक्शन बढ़ाएगा मुसीबतें, एक के बाद एक यूं खुल रहे राज

टीम भारत दीप |

श्याम संजीवनी के नाम यह एंबुलेंस (यूपी 41 एटी 7171) रजिस्टर्ड है। वह अस्पताल भी मौजूद नहीं है।
श्याम संजीवनी के नाम यह एंबुलेंस (यूपी 41 एटी 7171) रजिस्टर्ड है। वह अस्पताल भी मौजूद नहीं है।

पंजाब की रोपड़ जेल में बंद यूपी के बाहुबली मुख्तार अंसारी को मोहाली की कोर्ट में जब पेश किया गया था। इस बीच देखा गया कि उसे यूपी के बाराबंकी जिले के नंबर की गाड़ी से यहां लाया गया। बताया गया कि वह एक निजी एंबुलेंस है। मामला सामने आने के बाद यहां प्रशासन में हड़कंप मच गया।

लखनऊ। बीते रोज पंजाब की रोपड़ जेल से जिस एम्बुलेंस में बाहुबली मुख्तार अंसारी को मोहाली कोर्ट लाया गया था। उसका यूपी कनेक्शन निकल आया है। बताया जा रहा है कि इसको लेकर कई नए खुलासे हुए हैं जिसके बाद अब मुख्तार की मुसीबतें बढ़ती देखी जा रही है।

दरअसल पंजाब की रोपड़ जेल में बंद यूपी के बाहुबली मुख्तार अंसारी को मोहाली की कोर्ट में जब पेश किया गया था। इस बीच देखा गया कि उसे यूपी के बाराबंकी जिले के नंबर की गाड़ी से यहां लाया गया। बताया गया कि वह एक निजी एंबुलेंस है। मामला सामने आने के बाद यहां प्रशासन में हड़कंप मच गया।

जानकारी के मुताबिक अब यह एंबुलेंस सवालों के घेरे में है। बताया गया कि बाराबंकी के जिस अस्पताल श्याम संजीवनी के नाम यह एंबुलेंस (यूपी 41 एटी 7171) रजिस्टर्ड है। वह अस्पताल भी मौजूद नहीं है। वहीं बताया गया कि बाराबंकी के सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय (एआटीओ) में पंजीकृत एंबुलेंस की फाइल गायब है।

उधर पूरे मामले को लेकर जिला प्रशासन से लेकर जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी मारे बैठे हैं। इससे एम्बुलेंस को लेकर रहस्य और गहराता जा रहा है। बताया गया कि बाराबंकी के जिस अस्पताल के नाम पर एंबुलेंस पंजीकृत है, वह मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में न तो पंजीकृत है और न ही इससे संबंधित कोई दस्तावेज ही वहां मौजूद है।

वहीं अस्पताल का जो पता बताया जा रहा है वहां अस्पताल का कोई नामोनिशान ही नहीं है। ऐसे में दिसंबर 2013 में उस पते पर एंबुलेंस का पंजीकरण होना बड़ी हैरत पैदा करता है। उधर एआरटीओ कार्यालय के मुताबिक इसके पंजीकरण की फाइल गुम हो गई है। तलाश जारी है।

ऐसे में बड़ी हैरत जताई जा रही है कि वर्ष 2017 से यह एंबुलेंस बिना इंश्योरेंस और फिटनेस वैधता के सड़कों पर कैसी दौड़ रही थी। इस पर कार्रवाई भी न होना संदेह पैदा करता है। बताया गया कि यह एंबुलेंस हॉस्पिटल की संचालिका मऊ जिले की डॉ. अलका राय की है और एंबुलेंस की आरसी में दर्ज मोबाइल नंबर भी मऊ के व्यक्ति का बताया जा रहा है।

ऐसे में फिटनेस वैधता और इंश्योरेंस समाप्त होने के बावजूद एंबुलेंस पांच साल तक कहां रही इसकी जानकारी परिवहन और स्वास्थ्य विभाग के पास न होने भी हैरत की बात है। वहीं उत्तर प्रदेश से एंबुलेंस पंजाब पहुंच गई, पर इसका कभी कहीं चालान भी नहीं हुआ।

उधर कहा जा रहा है कि एंबुलेंस को बुलेट प्रूफ बना दिया गया, यही कारण था कि इसे फिटनेस के लिए नहीं लाया गया। इसके अतिरिक्त फाइल के गुम हो जाने को भी मुख्तार के प्रभाव से जोड़कर बताया जा रहा है। बताया गया कि इसकी फिटनेस वैधता 31 जनवरी, 2017 को और इंश्योरेंस दस जनवरी 2017 को समाप्त हो चुका है।

आखिरी बार इस एंबुलेंस को जनवरी 2016 में एआरटीओ आफिस फिटनेस के लिए लाया गया था। इसके बाद ये एंबुलेंस दोबारा नहीं लाई गई। वहीं गुरुवार को कार्यालय खुलते ही सीएमओ व एआरटीओ ने इस प्रकरण से जुड़ी अपने विभाग की रिपोर्ट डीएम को भेजी है।

बताया गया कि एंबुलेंस की आरसी में दर्ज रफीनगर के पते पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची तो वहां श्याम संजीवनी हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का कुछ पता नहीं चला। उधर डीएम व एसपी आदि सभी फिलवक्त मामले पर बोलने से कतरा रहे है। ऐसे में कहा जा रहा है मामला लगातार बढ़ रहा है।

बताया जा रहा है कि ऐसे में कई पर गाज गिरने के साथ ही मुख्तार की भी मुसीबत बढ़ सकती है।
 


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