यूपी:28 या 29 मई को हो सकता है योगी मंत्रीमंडल विस्तार,इन समीकरणों पर होगी खासी नजर

टीम भारत दीप |

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से सीएम योगी ने  मुलाकात की।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से सीएम योगी ने मुलाकात की।

दरअसल मार्च—2022 में होने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार के एक और मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारियों को लेकर हलचल शुरू होने के साथ ही कयासबाजी भी तेज गई है। मंत्रिमंडल विस्तार की इन चर्चाओं को बल तब मिला जब अचानक 27 मई को दिन में प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मध्य प्रदेश के सभी कार्यक्रम निरस्त करके लखनऊ पहुंचीं।

लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर के बीच बिगड़ी योगी सरकार की छवि के बाद अब यहां ध्यान मंत्रीमंडल विस्तार की ओर है। मिशन—2022 को अब ज्यादा समय बचा नहीं है। चर्चा है कि इस बीच सरकार अपने कुनबे में जातीय समीकरण साध डैमेज कंट्रोल में लगी है। दरअसल यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल गुरुवार को अचानक मध्य प्रदेश से अपना दौरा खत्म कर लखनऊ वापस लौट आई।

जिसके बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार शाम को मुलाकात की। इसके बाद इस मुलाकात को लेेकर राजनीतिक गलियारों में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। बताया जा रहा है कि योगी सरकार में मौजूदा मंत्रियों की संख्या को देखते हुए अभी छह और मंत्री शामिल किये जा सकते हैं।

दरअसल मार्च—2022 में होने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार के एक और मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारियों को लेकर हलचल शुरू होने के साथ ही कयासबाजी भी तेज गई है। मंत्रिमंडल विस्तार की इन चर्चाओं को बल तब मिला जब अचानक 27 मई को दिन में प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मध्य प्रदेश के सभी कार्यक्रम निरस्त करके लखनऊ पहुंचीं।

बताया गया कि इसी के बाद राजभवन में शपथ ग्रहण के मौके पर होने वाली तैयारियों का आभास लोगों को होते हुए दिखा। ऐसा माना जा रहा है कि 28 या 29 मई के बीच योगी सरकार का दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी और यूपी से एमएलसी पूर्व आईएएस एके शर्मा को डिप्टी सीएम बनना जा सकता है।

वहीं चर्चा यह भी है कि केशव प्रसाद मौर्य को एक बार फिर यूपी भाजपा की कमान सौंपी जा सकती है। जिससे कि ओबीसी चेहरे के साथ भाजपा चुनाव में उतर सके। बताते चलें कि सन 2017 में यूपी में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के दौरान प्रदेश में पार्टी की कमान केशव प्रसाद मौर्या के हाथों में ही थी।

गौरतलब है कि साढ़े चार बरस पहले यूपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 312 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। वहीं भाजपा के सहयोगी दल अपना दल को बीते विधानसभा चुनाव में नौ सीटें तथा ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) को चार विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

इस तरह सहयोगियों के साथ भाजपा ने 325 सीट पिछले विधानसभा चुनाव में हासिल की थीं। चुनाव नतीजों के बाद लखनऊ के स्मृति उपवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में 19 मार्च 2017 को योगी सरकार गठन का हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की सरकार में प्रथम मंत्रिमंडल विस्तार 22 अगस्त 2019 को हुआ था। इस दरम्यान उनके मंत्रिमंडल में 56 सदस्य थे।

यूपी में कैबिनेट मंत्रियों की अधिकतम संख्या 60 तक हो सकती है। बता दें कि यूपी में कोरोना की पहली लहर के दौरान कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान और मंत्री कमल रानी वरुण का निधन हो चुका है। वहीं इस बार की कोरोना की दूसरी लहर में हाल ही में राज्यमंत्री विजय कुमार कश्यप की भी मौत हो गई।

यूपी सरकार में मौजूदा समय में 23 कैबिनेट मंत्री, नौ स्वतंत्र प्रभार मंत्री और 22 राज्यमंत्री हैं। चर्चा है कि मंत्रिमंडल में कोई फेरबदल नहीं किया जाता है, तब भी छह मंत्री और बनाए जा सकते हैं।

असां नहीं है मिशन—2022 की डगर
माना जा रहा है कि भाजपा चुनावी वर्ष में कैबिनेट में कुछ नए लोगों को शामिल कर सूबे के जातीय और सियासी समीकरण को साधने का दांव चल सकती है। अगले वर्ष मार्च माह में यूपी में नई सरकार का गठन होने की मियाद को देखते हुए मौजूदा भाजपा सरकार के पास बहुत कम समय ही बचा है।

इसमें उसे कोरोना महामारी में सिस्टम की नाकामी से उपजे असंतोष और पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी से पिछड़ने के कारण बने हालात से भी निपटना है। इतना ही नहीं इसी दौरान प्रदेश में योगी सरकार को कोरोना महामारी से निपटने की तैयारियों को अंजाम देते हुए तीसरी लहर से भी नागरिकों को बचाने की भी एक बड़ी जिम्मेदारी को निभाना है।

साथ ही चुनावी मोर्चे पर विरोधी दलों द्वारा चले जाने वाले दांव से भी भाजपा को पार पाना है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में भाजपा व सरकार की मुश्किले और बढ़ सकती हैं। क्योंकि यहां असल हालातों पर पर्दा डाल नई तस्वीर दिखाने की बरबस कोशिशें सरकार व पार्टी द्वारा लगातार जारी है।

ऐसे में दांवे चाहे जो भी किए जा रहे हों लेकिन जमीन पर भाजपा व योगी सरकार को लेकर आक्रोश दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है।


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