सीएम योगी के लिए मैदान छोड़ेगी बाहुबली राजा भैया की पार्टी

टीम भारत दीप |

राजा भैया ने कहा कि वह बचपन से ही अयोध्या आते रहे हैं।
राजा भैया ने कहा कि वह बचपन से ही अयोध्या आते रहे हैं।

वह रंग महल मंदिर भी गए और वहां के महंत रामशरन दास का आशीर्वाद प्राप्त किया। सर्किट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जनसत्ता दल का गठन नवंबर 2018 में हुआ था। उसके बाद पूरे प्रदेश, देश कोविड की चपेट में आया, उस मंजर को आप सभी लोगों ने देखा। अब ईश्वर से कृपा से कोविड का असर समाप्त हो चुका।

अयोध्या। यूपी चुनाव 2022 के लिए छोटे-बड़े सभी दल मैदान मारने के लिए कमर कस रहे है। मंगलवार को अयोध्या में पूर्व मंत्री व जनसत्ता लोकतांत्रिक दल के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने रामलला व हनुमानगढ़ी में दर्शन पूजन की बाद यह बात कही।

राजा भैया ने कहा कि सभी पार्टी के पदाधिकारियों की राय है कि हम जिन सीटों पर मजबूत हो, उसी पर चुनाव लड़ा जाए, इसके लिए करीब 100 सीट चिह्नित की गई है। गोरक्षनाथ पीठ से हमारा तीन पुश्तों का संबंध है, मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तबसे जानता हूं, जब वह सांसद भी नहीं थे, अगर वह चुनाव लड़ेंगे तो उनके सम्मान में हमारी पार्टी प्रत्याशी नहीं खड़ा करेगी।

वह रंग महल मंदिर भी गए और वहां के महंत रामशरन दास का आशीर्वाद प्राप्त किया। सर्किट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जनसत्ता दल का गठन नवंबर 2018 में हुआ था। उसके बाद पूरे प्रदेश, देश कोविड की चपेट में आया, उस मंजर को आप सभी लोगों ने देखा।

अब ईश्वर से कृपा से कोविड का असर समाप्त हो चुका। अब अपने कार्यकर्ताओं से मिलने, उनकी राय जानने और जनता का आशीर्वाद लेने के लिए पूरे प्रदेश में दौरे का आयोजन किया गया है। इस काम का शुभारंभ भगवान श्रीराम का आशीर्वाद लेकर शुरू किया गया। 

बचपन से आ रहा हूं अयोध्या

राजा भैया ने कहा कि वह बचपन से ही अयोध्या आते रहे हैं, उन्होंने सैकड़ों बार रामलला व हनुमानजी के दर्शन किए हैं, आज इसे राजनीति से जोड़ा जाना उचित नहीं है। आज देश में महंगाई चरम पर है, तेल का दाम दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है।

इन सब मुद्दों को लेकर वह जनता के समक्ष जा रहे हैं, किसी राजनीतिक दल से गठबंधन के सवाल पर कहा कि अभी हमारी किसी भी दल से कोई भी बात नहीं हुई है।किसी दल से गठबंधन के सवाल पर राजा भैया ने जवाब दिया कि समय आने पर समान विचारधारा के दलों से समझौता किया जा सकता है।

किसान आंदोलन को नकारते हुए कहा कि धरना देने वाले असली किसान नहीं है, असली किसान वो है जो खेतों में काम करते हैं, हालांकि किसानों की समस्याएं हैं, उनको हर कीमत पर दूर करना चाहिए।


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