कानपुर: जेईई एडवांस्ड में लाई अच्छी रैंक, रात में की पार्टी, फिर लगा ली फांसी, इकलौते बेटे की मौत से परिवार सदमें में

टीम भारत दीप |

रात करीब तीन बजे निखिल की नींद खुली तो देखा कि अविरल कमरे में नहीं है।
रात करीब तीन बजे निखिल की नींद खुली तो देखा कि अविरल कमरे में नहीं है।

पुलिस ने शव बगैर पोस्टमार्टम कराए परिजनों के सुपुर्द कर दिया। खुदकुशी की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी है। घर वालों ने बताया कि छात्र का जेईई एडवांस्ड में चयन होने के बाद से वह काफी खुश था। उसने घर पर पार्टी भी की थी। अचानक न जाने क्यों उसने फांसी लगा ली।

कानपुर। कानपुर में एक छात्र ने जेईई एडवांस्ड में अच्छी रैंक हासिल करने की खुशी में रात जमकर पार्टी की। इसके बाद उसका शव फांसी के फंदे से लटका मिला। जब घर वालों को इसकी जानकारी लगी तो तत्काल फंदा काटकर उसे नीचे उतारा और उसे इलाज के लिए अस्पताल भागे, लेकिन डॉटरों ने उसे मृत बता दिया।

इसके बाद घर वालों ने शव का पीएम कराने के बाद नौबस्ता पुलिस ने से संपर्क किया तो पुलिस वालों ने पीएम कराने से इनकार कर दिया। कागजी लिखा पढ़ी के बाद पुलिस ने शव बगैर पोस्टमार्टम कराए परिजनों के सुपुर्द कर दिया।

खुदकुशी की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी है। घर वालों ने बताया कि छात्र का जेईई एडवांस्ड में चयन होने के बाद से वह काफी खुश था। उसने घर पर पार्टी भी की थी। अचानक न जाने क्यों उसने फांसी लगा ली।

मालूम हो कि कानपुर के किदवई नगर के ब्लॉक निवासी फाइनेंस एडवाइजर निखिल बाजपेई का बेटा अविरल(19) ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए जेईई एडवांस्ड की परीक्षा दी थी। शुक्रवार को प्रवेश परीक्षा का परिणाम आया।

परीक्षा में अविरल ने 7113 रैंक हासिल की। अविरल की मां शीतल बाजपेई व पिता दोनों बेहद खुश थे। परिजनों के मुताबिक त्योहार के दिन दोगुनी खुशी मिली थी। लिहाजा अविरल खुद ही होटल से सबके लिए खाना लेकर आया था।

खाना खाने के बाद सभी सोने चले गए। रात करीब तीन बजे निखिल की नींद खुली तो देखा कि अविरल कमरे में नहीं है। बाहर जाकर देखा तो बरामदे में कुंडे से दुपट्टे के फंदे से लटका हुआ था। 

परिवार का सहारा छिना

मालूम हो कि अविरल अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। उसकी मौत से उसके माता-पिता बेहाल हो गए है। घटना के बाद से परिजन कुछ भी नहीं बोल रहे हैं। इस विषय में नौबस्ता इंस्पेक्टर सतीश कुमार सिंह ने बताया कि खुदकुशी की वजह पता नहीं चली है।

परिजनों से भी जानकारी ली गई उससे भी कुछ जानकारी नहीं मिली। न ही कोई सुसाइड नोट मिला। परिजन पोस्टमार्टम नहीं कराना चाहते थे इसलिए उनसे लिखपढ़ी कराई गई। बगैर पोस्टमार्टम कराए शव परिजनों को सौंपा गया। 

अविरल का चयन हो गया था। मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए उसने आवेदन किया था। किसी न किसी आईआईटी में उसका दाखिला होना तय था। वह पढ़ाई में अव्वल था। इसलिए परिवार क्या उसके परिचितों को भी यकीन नहीं हो रहा कि अविरल ऐसा कर सकता है।

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