मैनपुरी: चार बेटियों के बाद पैदा हुआ बेटा, एंबुलेंस की हड़ताल की वजह से चली गई जान

टीम भारत दीप |

एंबुलेंस के लिए कोई मदद नहीं की। सोमवार की सुबह 11 बजे नवजात की मौत हो गई।
एंबुलेंस के लिए कोई मदद नहीं की। सोमवार की सुबह 11 बजे नवजात की मौत हो गई।

कुरावली थाना क्षेत्र के गांव लखौरा निवासी सुबोध कुमार की पत्नी शशीप्रभा को प्रसव पीड़ा होने पर रविवार की शाम सौ शैया अस्पताल में भर्ती कराया गया था, रात करीब 12 बजे शशीप्रभा ने बेटे को जन्म दिया। पैदा होने के बाद अचानक नवजात की हालत बिगड़ने लगी। सौ शैया अस्पताल से रात करीब 12:30 बजे नवजात को मेडिकल कॉलेज सैफई के लिए रेफर किया गय। 

मैनपुरी। इस समय 108 और 102 के चालक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है। इस हड़ताल की वजह से  स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से गड़बड़ा गई है। मैनपुरी में इस हड़ताल की वजह से एक मासूम की जान चली गई।

दरअसल सौ शैया अस्पताल से गंभीर हालत में हायर सेंटर के लिए रेफर नवजात के लिए एंबुलेंस नहीं मिल पाई, जिससे उसकी मौत हो गई। नवजात की मौत से परिवार पूरी तरह टूट गया। मालूम हो कि उक्त बच्चा चार बहनों के बाद बड़ी मनौती के बाद पैदा हुआ था।

बच्चे की मौत से उसकी बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मृत बच्चे के पिता ने बताया कि मन्नतों के बाद बेटे का जन्म हुआ था, लेकिन एंबुलेंस न मिलने से उसकी जान चली गई। कुरावली थाना क्षेत्र के गांव लखौरा निवासी सुबोध कुमार की पत्नी शशीप्रभा को प्रसव पीड़ा होने पर रविवार की शाम सौ शैया अस्पताल में भर्ती कराया गया था, रात करीब 12 बजे शशीप्रभा ने बेटे को जन्म दिया।

पैदा होने के बाद अचानक नवजात की हालत बिगड़ने लगी। सौ शैया अस्पताल से रात करीब 12:30 बजे नवजात को मेडिकल कॉलेज सैफई के लिए रेफर किया गय।  शशीप्रभा के पति सुबोध ने बताया कि उसने कई बार 102 और 108 एंबुलेंस सेवा के लिए कॉल किया, लेकिन उसका कॉल रिसीव नहीं हुआ। अस्पताल प्रशासन ने भी एंबुलेंस के लिए कोई मदद नहीं की। सोमवार की सुबह 11 बजे नवजात की मौत हो गई।

चार बेटियों  के बाद पैदा हुआ था बेटा

आपकों बता दें कि सुबोध कुमार ओर शशीप्रभा की चार बेटियां हैं। शशी प्रभा ने पुत्र के लिए मन्नत मांगी थी, पुत्र के जन्म से परिवार में खुशी का माहौल था। उसकी मौत से सारी खुशियां छिन गईं।  सौ शैया अस्पताल के सीएमएस डॉ. एके पचौरी ने कहा कि 102 और 108 एंबुलेंस सेवा मेरे अधीन में नहीं आती है। अस्पताल के पास खुद की कोई एंबुलेंस नहीं है।

रेफर के बाद भी परिजन वाहन की व्यवस्था नहीं कर पाए। अस्पताल में नवजात को हर संभव उपचार दिया गया, लेकिन उसे नहीं बचाया जा सका।  

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