मेरठ: सिलेंडर में आग से घर बना आग का गोला,जिंदा जल गई दो मासूम बेटियां, घर में मातम

टीम भारत दीप |

मासूम बच्चियों को न बचा पाने का दर्द यहां हर किसी के चेहरे पर दिखा। 
मासूम बच्चियों को न बचा पाने का दर्द यहां हर किसी के चेहरे पर दिखा। 

जब दोनों माताओं को पता चला कि उनकी बच्चियां तो घर के अंदर ही रह गई है तो दोनों बार—बार घर के अंदर जाने की जिदद करने लगी किसी तरह दोनों को संभाला गया, लेकिन बच्चियों की मौत की खबर से भाभी और ननद बेहोश हो गई। आग बुझते ही परिवार के लोग मकान में घुस गए, लेकिन तब तक सामान के साथ दोनों मासूमों का कंकाल ही बचा था।

मेरठ। यूपी के मेरठ जिले में रविवार देर शाम लगी आग ने एक परिवार की खुशियां खाक में मिला दी। यहां खाना बनाते समय आग लगने से एक माह पहले जन्मी दो बेटियां परिवार के आंखों के सामने जिंदा जल गई, घर वाले बेबस निगाहों से अपनी बेटियों की मौत को देखते रहे है।

मालूम हो कि रविवार शाम को खाना बनाते समय अचानक चूल्हा बूझ गया, इसके बाद जैसे ही महिलाओं ने फिर से चूल्हा जलाने के लिए माचिस जलाई वैसे ही घर में गैस लीक होने से आग लग गई,

इसके बाद घर वाले अपनी जान बचाकर वहां से तो किसी तरह भाग गए, लेकिन किसी का ध्यान उस समय बच्चियों पर नहीं गया, इस वजह से दो मासूम बच्चियां आग के गोले में घिर गई, जब तक लोगों को पता चला तब तक आग विकराल रूप ले चुकी थी, यह देख लोगों का कलेजा कांप गया। 

एक माह के भीतर जन्मी थी दोनों बच्चियां

मेरठ में खंदक बाजार के भीड़ वाले इलाके में इदरीश के घर में दो मासूम बच्चियों ने कुछ दिनों पहले ही जन्म लिया था। बच्चियों के जन्म से घर में खुशियों का माहौल था, इन दोनों ​बच्चियों का सोमवार को अकिका कराने की तैयारी थी

इसके लिए सोमवार को घर में दावत की भी तैयारी की गई थी इसी बीच रविवार शाम घर में  भट्ठी पर खाना बनाया जा रहा था। इसी बीच गैस बंद हो गई। परिवार की महिला ने जैसे ही माचिस की तीली जलाई तो सिलिंडर ने आग पकड़ ली। महिलाएं तो जान बचाकर बाहर आ गईं, लेकिन अंदर बच्चियां आग की चपेट में आ गईं। मकान आग का गोला बन चुका था। 

दावत से पहले घर में मातम

रहवासियों से मिली जानकारी के अनुसार इदरीश के चार बेटे और छह बेटियां हैं। दो बेटे और दो बेटियां साउथ अफ्रीका में रहते हैं। एक महीने पहले ही बेटी शहला ने एक बच्ची को जन्म दिया। इदरीश के बेटे जुनैद की पत्नी को भी 21 दिन पहले बेटी हुई।

दो बच्चियों का जन्म हुआ तो जुनैद और उसकी बहन ने दोनों का अकीका एक साथ रखने का फैसला किया। सोमवार को घर में दावत थी और रविवार को यह हादसा हो गया। दावत से पहले घर में मातम फैलने से हर किसी की आंखों से आंसू नहीं रूक रहे थे। 

किसी तरह दोनों माओं को संभाला

जब दोनों माताओं को पता चला कि उनकी बच्चियां तो घर के अंदर ही रह गई है तो दोनों बार—बार घर के अंदर जाने की जिदद करने लगी किसी तरह दोनों को संभाला गया, लेकिन बच्चियों की मौत की खबर से भाभी और ननद बेहोश हो गई।  आग बुझते ही परिवार के लोग मकान में घुस गए, लेकिन तब तक सामान के साथ दोनों मासूमों का कंकाल ही बचा था। यह देख हर किसी का कलेजा फट गया। 
  
जलते हुए सिलेंडर को बाहर लाए

घर में आग की ऊंची-ऊंची लपटें उठ रहीं थी। तभी कुछ लोग वहां पहुंचे और जान जोखिम में डाल आग लगे सिलिंडर को बाहर खींच लाए। यहां लोगों ने बालू डालकर आग को बुझा दिया। मासूम बच्चियों को न बचा पाने का दर्द यहां हर किसी के चेहरे पर दिखा। 

परिवार के हर व्यक्ति का रो-रोकर बुरा हाल था रिश्तेदारी की महिलाएं भी रोती बिलखती पहुंच गईं लेकिन तब तक दोनों बच्चियों की मां बदहवास थीं। दोनों सुदबुद खो चुकी थीं। जुनैद और इमरान की हालत भी कुछ ठीक नहीं थी। रोते हुए वह बोल रहे थे कि मुझे बच्ची को दूध पिलाना है, वह बहुत देर से भूखी है।

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