यूपी के इन 11 गांवों के लिए आखिरी होगा यह विधानसभा चुनाव, जानिए वजह

टीम भारत दीप |

यहां के लोगों को अन्यत्र विस्थापित करने की कवायद चल रही है।
यहां के लोगों को अन्यत्र विस्थापित करने की कवायद चल रही है।

हम बात कर रहे है यूपी विधानसभा की सबसे अंतिम सीट के 11 गांवों की। इस 11 गांव के लोग इस बार विधानसभा चुनाव में अंतिम बार वोट देंगे। चुनाव बीतने के बाद यह गांव भी अतीत का हिस्सा हो जाएंगे। दरअसल, सोनभद्र जिले का यह गांव निर्माणाधीन कनहर बांध के डूब क्षेत्र में है। इसी वर्ष के अंत में बांध के पूर्ण होते ही यह गांव अथाह पानी में समा जाएंगे।

सोनभद्र। यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर पूरे प्रदेश में खुशी का माहौल है, लेकिन प्रदेश कुछ गांव ऐसे भी है जिन्हें इस चुनाव से कोई आस नहीं है। क्योंकि इन गांवों का अस्तीत्व खत्म हो जाएगा, इसलिए यहां के रहने वालों लोगों में कोई उत्साह नहीं है, इसलिए नई सरकार चुनने के लिए कोई भी  उतावला नहीं है।

हम बात कर रहे है यूपी विधानसभा की सबसे अंतिम सीट के 11 गांवों की। इस 11 गांव के लोग इस बार विधानसभा चुनाव में अंतिम बार वोट देंगे। चुनाव बीतने के बाद यह गांव भी अतीत का हिस्सा हो जाएंगे। दरअसल, सोनभद्र जिले का यह गांव निर्माणाधीन कनहर बांध के डूब क्षेत्र में है। इसी वर्ष के अंत में बांध के पूर्ण होते ही यह गांव अथाह पानी में समा जाएंगे।

चार दशक से चल रही परियोजना

विस्थापन के बाद यहां लोगों की तो नई पहचान हो जाएगी, लेकिन उनके गांव का अस्तित्व नहीं रहेगा। यूपी, झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर पिछले चार दशकों से बन रहा कनहर सिंचाई परियोजना को वर्ष 2022 में पूरा करने का लक्ष्य है। इसके लिए जोर-शोर से काम चल रहा है। फिलहाल यहां फाटक लगाए जा रहे हैं।

कनहर बांध में डूब जाएंगे 11 गांव

दुद्धी ब्लॉक का कोरची, सुंदरी, भिसुर, लांबी, सुगवामान, कुदरी, अमवार, गोहड़ा, रनदहटोला, बरखोहरा, बघाडू गांव इस सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र में है। बांध के पूरा होते ही यह गांव पूरी तरह डूब जाएंगे। यहां के लोगों को अन्यत्र विस्थापित करने की कवायद चल रही है। अपना जन्म स्थान छोड़ने की मायूसी हर चेहरे पर है। वह नई जगह बस तो जाएंगे लेकिन वर्षों से जिस गांव की पहचान के साथ जीते रहे हैं, वह अब उनके साथ नहीं रहेगा।

अपने गांव को बचाने के लिए यहां के लोगों ने खूब संघर्ष किया, लेकिन किसी भी दल ने उनकी मदद नहीं की। यही कारण है कि चुनावी दौर में भी यहां कोई रौनक नहीं है। गांव में किसी भी राजनीतिक दल की कोई चर्चा तक नहीं हो रही है। ग्रामीण हर दल के लोगों से काफी खफा हैं।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 1976 से कनहर सिंचाई परियोजना का निर्माण कार्य हो रहा है लेकिन शासन प्रशासन की लापरवाही से अभी तक हजारों विस्थापितों को मुआवजा नहीं मिल पाया है।

ग्रामीणों ने बताया कि कनहर सिंचाई परियोजना में 21 गांव डूब रहे हैं। इसमें यूपी के 11 गांव हैं। बांध का 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया है लेकिन सरकार की ओर से अब भी विस्थापित परिवारों को मुआवजा नहीं दिया गया है।

वहीं आपकों बता दें कि कनहर सिंचाई परियोजना अमवार का निर्माण 1976 में शुरू हुआ था। तब इसकी लागत 27.75 करोड़ रुपये थी। राजनीतिक खींचतान में देरी के कारण परियोजना की लागत 2014 में 2239 करोड़ तक हुई थी। इसे पूरा करने का लक्ष्य 2022 में तय किया है। परियोजना की पूर्णता लागत 3252 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इसमें अब तक विस्थापितों में 303 करोड़ रुपयों का वितरण कर दिया गया है।

108 गांव होंगे सिंचित

कनहर सिंचाई परियोजना से 108 गांव सिंचित होंगे। इसके नहरों का जाल बिछाया गया है। लंबी नहरों के साथ 1.5 किमी टनल भी बनाया गया है। दुद्धी ब्लाक के साथ नवसृजित ब्लॉक कोन के साथ कुछ हिस्सा झारखंड के गांव को लाभ मिलने वाला है। नहरों का निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है।

इसे भी पढ़ें...


संबंधित खबरें